scriptखेती की जमीन पर बिना डायवर्सन हो रहा है आवासों का निर्माण | Construction, houses, without, land, bhind news in hindi, bhind news i | Patrika News

खेती की जमीन पर बिना डायवर्सन हो रहा है आवासों का निर्माण

locationभिंडPublished: Jan 13, 2020 10:58:00 pm

Submitted by:

Rajeev Goswami

– दो साल में 60 बीघा जमीन पर हुआ दो सैकड़ा से अधिक मकान,150 बीघा पर प्लाटिंग जारी
– गुमराह कर ग्रामीणों को बेचे जा रहें हैं भूखंड, लाखों कमानें वाले अवैध कालोनाइजर्स पर नहीं हो रही कार्रवाई

खेती की जमीन पर बिना डायवर्सन हो रहा है आवासों का निर्माण

खेती की जमीन पर बिना डायवर्सन हो रहा है आवासों का निर्माण

फूप. नपं क्षेत्र में खेती की जमीन पर बिना डायवर्सन के ही धड़ल्ले से आवासीय कालोनियों का निर्माण हो रहा है। दो साल में ही 60 बीघा से अधिक कृषि भूमि पर दो सैकड़ा से अधिक आवासीय भवनों का निर्माण हो चुका है। नगर के चारों ओर वर्तमान में 150 बीघा से अधिक कृषि भूमि पर बिना डायवर्सन के प्लाटिंग का कार्य चल रहा है। इसके बाद भी नपं और रा’ास्व विभाग की ओर से किसी भी जमीन का क्रय-विक्रय करने वाले को नोटिस तक जारी नहीं किया है।
फूप कस्बे में अनुबंध के आधार पर किसानों से जमीन लेकर आपपास के ग्रामीणों को गुमराह कर महंगे दामों पर प्लाट बेचे जा रहे हैं, जबकि किसी ने भी कालोनाइजर का लाइसेंस नहीं लिया है। अटेर रोड, पाली रोड, अहेंती रोड, भदाकुर रोड, भोनपुरा के पास, इटावा रोड, भिण्डरोड पर दो दर्जन से अधिक स्थानों पर अवैध रूप से प्लाटिंग का कार्य चल रहा है। इन स्थानों पर कहीं भी प्लाटिंग करने से पहले न तो डायवर्सन कराया गया है और न ही टाउन एंडकंट्री प्लानिंग से नक्शा पास कराया गया है। इतना ही नपं से किसी ने भवन निर्माण की परमीशन भी नहीं ली है। जिन लोगों ने अवैध रूप से खेती की जमीन पर मकान बना लिए हैं वहां पर विद्युत की सुविधा नहीं है। अधिकांश लोगों ने बल्लियों पर सीधे ट्रासफार्मर से हुकिंग कर बिना कनेक्शन लिए ही विद्युत का उपयोग करना शुरू कर दिया है। इन बस्तियों में मकान बनाने वालों को निकलने के लिए सडक़ तक नहीं है। बरसात के मौसम में तो सैकड़ों परिवार घरों में ही कैद हो जाने को मजबूर हो जाते हैं। अवैध प्लाटिंग से राजस्व विभाग और नपं को लाखों रुपए का नुकसान उठाना पड़ रहा है।
किसानों से ही कराई जाती है रजिस्ट्री

कानूनी फंदे से बचने के लिए अवैध कालोनाइजर किसान से उसके खेत का सौंदा कर लेते हैं। दोनो पक्षों के बीच 100 रुपए के स्टांप पर जमीन का सौदा हो जाता है। इसके बाद कालोनाइजर उस जमीन पर प्लाटिंग कर देते हंै। नक्शे में जगह-जगह सडक़ें और पार्क भी दर्शा दिए जाते हैं। जो ग्राहक प्लाट खरीदनें के लिए तैयार होता है उससे पैसे तो खुद ले लेते हैं, जबकि रजिस्ट्री किसान से करा दी जाती है। इससे कालोनाइजर कानूनी फंदे में फंसने से बच जाता है। फूप में सडक़ के किनारे प्रतिबीघा जमीन का भाव 20 से 25 लाख रुपए है जबकि प्लाटिंग के बाद इसकी कीमत 40 लाख तक पहुंच जाती है।
कथन

अवैध कालोनियों में मानवीयता के आधार पर पेयजल, सफाई की सुविधाएं दी जा रही है। सडक़ों के किनारे कुछ स्थानों पर प्लाटिंग हो रही है। इनमें से कुछ क्षेत्र सडक़ के किनारे जरूर है लेकिन वे नपा की सीमा में न होकर पंचायत क्षेत्र में हैं। इसके बाद भी हम सर्वे कराने के बाद नोटिस जारी कर रहे हैं।
-प्रदीप शर्मा सीएमओ नपं फू प

अवैध प्लाटिंग की जानकारी हमारें संज्ञान में नहीं है। नायब तहसीलदार को एक दो दिन में भेजकर जानकारी मंगा रहे हैं। प्लाटिंग करने वालों की पहचान कर नोटिस जारी किए जाएंगे। प्रकरण भी दर्ज किया जाएगा।
-मोहम्मद इकवाल एसडीएम भिण्ड

loksabha entry point

ट्रेंडिंग वीडियो