जामपुरा में अधिकांश कृषक एक से १० बीघा जमीन के ही भू-स्वामी हैं। ऐसे में अधिकतम १० बीघा जमीन के खाताधारक किसान को एक लाख रुपए तक का ऋण स्वीकृत किया जा सकता है, लेकिन यहां दो से चार बीघा जमीन के खाताधारक कृषक को भी एक लाख रुपए तक का ऋण प्रदान कर दिया गया है, जबकि प्रति बीघा पांच से १० हजार रुपए तक फसल ऋण दिए जाने का प्रावधान है। सरकार की ऋण माफी योजना में ऋण माफ हो जाने के चलते किसान अपने साथ हुई धोखाधड़ी के बारे में शिकायत करने से भी बच रहे हैं।
जिन किसानों पर दो लाख से अधिक का ऋण है उनकी सांसें फूली हुई हैं, क्योंकि सरकार केवल दो लाख रुपए तक का ही ऋण माफ कर रही है। सूत्रों के अनुसार किसानों को निकाली गई ऋण राशि में से ३० से ४० फीसदी रकम प्रदान ही दी जाती थी। सरकार द्वारा कर्जमाफी की कार्यवाही शुरू कर दिए जाने और सहकारी संस्था अध्यक्ष द्वारा खुदकुशी कर लेने की घटना के बाद अब कोई भी किसान शिकायत के लिए आगे नहीं आ रहा है।
२०११-१२ में १९ करोड़ हो चुके हैं लैप्स केंद्र सरकार द्वारा भिण्ड जिले के किसानों का १९ करोड़ रुपए का ऋण माफ किए जाने के लिए धनराशि भेजी गई थी, लेकिन कृषि साख सहकारी समितियों की गड़बडिय़ां सामने आने के उपरांत सरकार ने १९ करोड़ की धनराशि बिना वितरण किए ही वापस ले ली थी। ऐसे में किसानों को एक रुपए का भी लाभ नहीं मिल पाया था।
-पंचायत भवन पर किसानों की सूची चस्पा होने के बाद पता चला कि जितनी ऋण राशि कृषकों को मिली थी उससे कई गुना राशि उनके नाम पर ऋण के रूप में दर्ज है। सरकार द्वारा कर्ज माफ करने से किसान शिकायत भी नहीं कर रहे हैं।
रेखा शिवनंदन सिंह भदौरिया, सरपंच जामपुरा -किसी किसान ने टमाटर पर तो किसी ने मिर्ची पर केसीसी बनवाई थी। ऐसे में उन्हें ज्यादा ऋण राशि स्वीकृत की गई थी। कोई भी ऋण गलत तरीके से प्रदान नहीं किया गया है।
नीतेश बौहरे, सहायक प्रबंधक प्राथमिक साख सहकारी समिति जामपुरा -इस मामले की जांच के आदेश दे दिए हैं। जांचकर्ता टीम से २४ घंटे के अंदर रिपोर्ट मांगी गई है। हालांकि समिति में हुई आर्थिक गड़बड़ी के संबंध में किसी भी किसान द्वारा शिकायत नहीं की गई है।
केपी सिंह, चेयरमैन जिला सहकारी केंद्रिय बैंक मर्यादित भिण्ड -हमें भी इस प्रकार संदेह था, ऐसे में जामपुरा समिति द्वारा फर्जीवाड़ा किया गया है। तो जांच करवाकर दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी।
छोटेसिंह, कलक्टर, भिण्ड -इतनी बढ़ी आर्थिक अनियमितता में कौन-कौन लिप्त है और किसी प्रकार से इस पूरे प्रकरण को अंजाम दिया गया। इसकी जांच शुरू कर दी है। ज्यादा कुछ रिपोर्ट आने पर ही कहा जा सकेगा।
बबलू सातनकर, उपपंजीयक सहकारी संस्थाएं, भिण्ड -चेकबुक किसानों को देने के बजाए सचिव ही रखते हैं। सामूहिक रूप से बॉण्ड बनाने के बाद सचिव व अध्यक्ष के हस्ताक्षर कर शाखा प्रबंधक से मिलकर धनराशि फर्जी तरीके से निकाल ली जाती है। इस तरह आर्थिक अनियमितताओं को अंजाम दिया जा रहा है। अभी तो एक सोसायटी का मामला सामने आया है। यदि जांच हुई तो अन्य समितियों के फर्जीवाड़े सामने आ सकते हैं।
श्यामसुंदर सिंह जादौन, पूर्व चेयरमैन जिला सहकारी केंद्रीय बैंक भिण्ड