ग्रामीणों का कहना है कि मुकट पुरा गांव कीं शासकीय भूमि सर्वे नंबर 815/१ रकबा 2.74 है जिसको गांव के ही कुछ लोग बीते 20 बरसों से अतिक्रमित किए हैं और उस पर अवैध रूप से खेती करके लाखों रुपए कमा रहे हैं। पूर्व में यह जमीन गांव के पालतू जानवरों के चारागाह (शासकीय चरनोई) के रूप में काम आती थी, पर इस पर कुछ लोगों द्वारा बेजा कब्जा कर लिए जाने एवं इसके चारों ओर झाड़ झंखाड़ की बागड़ लगा दिए जाने से अब गरीब पशुपालकों के पालतू जानवर गाय, भैंस, बकरियां भेड़ व ऊंट आदि तथा आवारा गायें यहां चर नहीं पा रहे हैं व किसानों के निजी खेतों में खड़ी फसलें उजाड़ रहे हैं।
ग्रामीणों ने कहा, उनकी मौजूदगी में हो अतिक्रमण की जांच ग्रामीणों का आरोप है कि राजस्व विभाग के मैदानी कर्मचारियों की अतिक्रामकों से मिली भगत के कारण पशुओं के चारागाह के उपयोग की जमीन अतिक्रमण मुक्त नहीं हो पा रही है। जपं सदस्य हरिवल्लभ पुरोहित ने कहा है कि ग्रामीण किसान जब उधर से अपने पालतू पशुओं को चराने के लिए लेकर निकलते हंै तो उक्त अतिक्रमणकारी झगड़ा व मारपीट करने पर आमादा हो जाते हैं ।
सरकार चरनोई की जमीनों को मुक्त करवाकर गांव गांव में आवारा गायों के लिए गौशालाएं व चारागाह विकसित करने का प्रयास कर रही है, पर मुकुटपुरा में सरकारी जमीन पर राजस्व कर्मचारी ही अतिक्रमण करवाए हुए हैं। वे शिकायत की निष्पक्ष जांच भी नहीं होने दे रहे हैं। एसडीएम को इस संबंध में दिए गए आवेदन पर हस्ताक्षर करने वालों में जनपद सदस्य हरिबल्लभ पुरोहित, अशोक सिंह यादव, रामनाथ पुरवंसी, विजय यादव, अनिल यादव, राजेन्द्र पुरवंसी, गंगासिंह, प्रमोद यादव, रामराज यादव आदि सहित कई अन्य ग्रामीण शामिल हैं।
कथन : मुझे इस अतिक्रमण की जानकारी अभी नहीं है। हलका पटवारी से इसकी जानकारी लेकर नियमानुसार अतिक्रमण हटवाने की कार्रवाई की जाएगी। -शिवदयाल धाकड़, तहसीलदार अटेर