यही वजह है कि इस महादेव मंदिर का नाम श्री रामेश्वर महादेव मंदिर पड़ा। इसी के चलते यहां सावन में तो श्रद्धालु जाते ही हैं, इसके साथ ही विशेष तिथियों पर त्रिवेणी में पवित्र स्नान को आने वाले श्रद्धालु यहां दर्शन करने आते हैं।
त्रिवेणी संगम रामेश्वर धाम पर हर साल कार्तिक पूर्णिमा के दिन विशाल मेले का आयोजन होता है। यह मेला मप्र और राजस्थान दोनों जिलों की सीमा में लगता है। मप्र की सीमा में लगने वाले मेले के दौरान मंदिर में रामेश्वर महादेव के दर्शन के लिए श्योपुर जिले सहित आसपास के जिलों से लाखों लोग पहुंचते हैं।
भगवान परशुराम ने भी की थी तपस्या
मान्यता के अनुसार मातृहत्या के संताप से व्याकुल हुए परशुराम के मन को रामेश्वर धाम में त्रिवेणी संगम के तट पर घोर तपस्या की थी। चंबल नदी के किनारे प्राचीन परशुराम घाट बना हुआ है। यहीं बैठकर परशुराम ने अपने आराध्य शिव का ध्यान किया था। यही वजह है कि रामेश्वर महादेव की अपनी अलग महत्ता है।