230-235 मरीज रोज शहर के लाल बहादुर शास्त्री चौराहे के निकट आर्यनगर में स्थित डॉ. शैलेंद्र परिहार के निजी क्लिनिक पर वैसे तो परामर्श शुल्क देकर चेकअप कराने वालों की भीड़ लगती है, लेकिन कोरोना संक्रमण में डॉ. परिहार पहले उन गरीब मरीजों को देखते हैं जिनसे वह शुल्क भी नहीं लेते। यहां बता दें कि २३० से २३५ गरीब एवं निराश्रित मरीज प्रतिमाह उनके क्लिनिक पर पहुंच रहे हैं।
ऐसे करते हैं गरीब मरीज की पहचान डॉ. शैलेंद्र परिहार गरीब मरीज और जरूरतमंद मरीज की पहचान बीपीएल कार्ड से नहीं बल्कि उसके हालात देखकर करते हैं। संबंधित मरीज उनके क्लिनिक तक किस वाहन से पहुंचा तथा उसके परिवार में आजीविका का क्या साधन है एवं उसके तन पर कपड़े कैसे हैं साथ ही संबंधित की माली हालत की वास्तविकता के लिए वह अपने सहायकों की भी मदद लेते हैं। डॉ. परिहार शहर में स्थित अपने क्लिनिक के अलावा गांव में संचालित क्लिीनिक पर भी गरीब मरीजों को नि:शुल्क देखते हैं।
गरीबों की दुआओं ने मौत से बचाया डॉ. परिहार कहते हैं कि हम गरीब मरीजों को मुफ्त चिकित्सा सलाह देकर उन पर कोई एहसान नहीं करते बल्कि उनकी दुआओं से वह कई बार मौत के मुंह से बचे हैं। उन पर आने वाली विपदाओं और परेशानियों के बीच दुआएं आड़े आ जाती हैं। वह कहते हैं कि जब तक जीवन है तब तक गरीब मरीजों का इलाज मुफ्त ही करेंगे।