अटेर क्षेत्र के खैराट, नावली वृंदावन, देवाला, मुकुटपुरा, कछपुरा, दिन्नपुरा, नखलौली की मढ़ैयन, कोषढ़ की मढ़ैयन, रमा कोट, ज्ञानपुरा, गढ़ा एवं चिलोंगा आदि गांवों के लगभग 8000 बीघा जमीन की खरीफ फसल बर्बाद हो गई है। बाढ़ में अटेर क्षेत्र के करीब दो हजार किसानों को आर्थिक नुकसान का सामना करना पड़ा है। ग्रामीणों की चिंता यह है कि अभी तक प्रशासनिक स्तर पर नुकसान का सर्वे भी शुरू नहीं किया गया है। ऐसे में उन्हें मुआवजा कब और कितना मिल पाएगा इस बारे में कुछ भी नहीं कहा जा सकता है।
बाढ़ प्रभावित लगभग एक दर्जन गांवों के पशु पालकों की स्थिति ये है कि उन्हें अपने पशु गांव से दो से तीन किमी दूर चराने के लिए ले जाने पड़ रहे हैं। घर में भूसा नहीं रहा है क्यों कि हजारों क्विंटल भूसे से भरे सैकड़ों कूप पानी में डूब जाने से भूसा नष्ट हो गया है। इतना ही नहीं जमीन पर खड़ा हरा चारा भी कीचड़ में लिप्त हो जाने से पशुओं के खाने योग्य नहीं रहा है। लिहाजा चारे का बड़ा संकट उत्पन्न हो गया है।
विदित हो कि बाढ़ प्रभावित गांवों में बीमारों को स्थानीय स्तर पर उपचार मिलना तो दूर अटेर कस्बे में स्थापित सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र में भी स्वास्थ्य सेवाएं नहीं मिल पा रहीं हैं। आलम ये है कि न तो नियमित रूप से अस्पताल में चिकित्सक बैठ रहे हैं और ना ही अन्य स्वास्थ्य कर्मचारी ड्यूटी कर रहे हैं। लिहाजा बाढ़ प्रभावित गांव के मरीजों को जिला अस्पताल या प्राइवेट डॉक्टर का सहारा लेना पड़ रहा है।
-बाढ़ से नष्ट हुई फसल के बाद संबंधित इलाकों में सर्वे शुरू नहीं किया गया है। सर्वे जल्दी शुरू किया जाना चाहिए ताकि समय पर किसानों को मुआवजा मिल सके। अशोक तोमर, समाजेसवी एवं पूर्व जनपद सदस्य अटेर
-प्रारंभिक पड़ताल में 400 हेक्टेयर जमीन पर खरीफ फसल बर्बाद हो जाने का अनुमान लगाया गया है। शीघ्र ही सर्वे दल गठित कर नुकसान के आकलन की प्रक्रिया शुरू की जाएगी। रमाशंकर सिंह, प्रभारी तहसीलदार अटेर