चंबल! कभी बेटियों की कम संख्या के लिए बदनाम रहा है, लेकिन अब बदलाव की बयार बह रही है। बेटी के जन्म को अब यहां न सिर्फ अभिमान से देखते हैं, बल्कि जन्म पर अपने तरीके से खुशियां मनाईं जाती हैं। कीरतपुरा गांव की बहू ने बेटी को जन्म दिया तो पूरे गांव में खुशियां मनाईं गईं। सोमवार को अस्पताल से पहली बार नवजात घर आई तो गांव की गलियां फूलों से सजाईं गईं। लॉकडाउन का उल्लंघन न हो इसलिए आयोजन में सिर्फ परिवार के लोग शामिल हुए। बच्ची का तुलादान सैनिटाइजर से किया गया। बाद में इस सैनिटाइजर को गांव के लोगों में कोरोना वायरस से लड़ने के लिए बांट दिया गया।
गृह प्रवेश पर फूलों से सजाई घर की राह:
कीरतपुरा गांव निवासी देवेंद्र सिंह के बेटे अरविंद भदौरिया की पत्नी निकिता भदौरिया को 17 अप्रैल को प्रसव पीड़ा हुई। परिजन ने उन्हें जिला अस्पताल के मैटरनिटी वार्ड में भर्ती कराया गया। निकिता ने 18 अप्रैल को बेटी को जन्म दिया। बेटी के जन्म की खबर परिजन के बीच पहंुची तो सभी की खुशी का ठिकाना नहीं रहा। गांव में भी खुशियां मनीं। देवेंद्र सिंह भदौरिया के दो बेटे हैं। अरविंद छोटे बेटे हैं। बेटी के जन्म ने उनकी खुशियां दोगुनी कर दीं। गांव में नवजात बिटिया के स्वागत की तैयारियां शुरू हुईं। लॉकडाउन होने से गांव भदौरिया परिवार के साथ खुशी में शामिल तो नहीं हुआ, लेकिन गलियों को नन्ही बिटिया के लिए फूलों से सजा दिया गया।
बेटी का जन्म यादगार बनाने सैनिटाइजर से तुलादान:
फूलों से सजे कीरतपुरा गांव के रास्तों से मां, पिता, दादा और दादी की गोदी से नन्ही मासूम ने गृह प्रवेश किया। बेटी के जन्म को यादगार बनाने के लिए श्री भदाैरिया ने घर में उसका तुलादान का इंतजाम किया था। तुलादान सैनिटाइजर की बोतलों से किया गया। बाद में इन सैनिटाइजर की बोतलों को गांव के लोगों के बीच बांट दिया गया। इस तरह जन्म के बाद से ही मासूम कोरोना वायरस से लड़ाई में परिवार और गांव के साथ शामिल हो गई।