सैनिक के सिर में आई थी चोट, डाक्टर पिता ने खुद इलाज कर सेना को थमाया 16 करोड़ का बिल
सैनिक के सिर में आई थी चोट, डाक्टर पिता ने खुद इलाज कर सेना को थमाया 16 करोड़ का बिल

भिंडः आए दिन हमारे सामने धांधलियों से जुड़े मामले आते रहते हैं, जिनके पता चलने के बाद हम ऐसा सोचते हैं कि, लोग ऐसा भी कुछ कर सकते हैं। ऐसा ही एक मामाला सामने आया मध्य प्रदेश के भिंड ज़िले से, जहां एक आयुर्वेद डाक्टर ने सेना में भर्ती अपने बेटे का इलाज ख़ुद किया और इसके लिए सेना मुख्यालय को 16 करोड़ रुपए का बिल भेज दिया। दरअसल, सेना में भर्ती जवान को चोट लगने के कारण काफी दिनों से सर में दर्द की शिकायत रहती थी, जिसके चलते सेना प्रबंधन की ओर से तय किया गया कि, इनका इलाज सेना के अस्पताल में किया जाना चाहिए, लेकिन इसपर आपत्ति लगाते हुए जवान के पिता ने डाक्टर होने के नाते बेटे का इलाज खुद करने की अर्जी लगाई, जिसे सेना ने मंज़र कर लिया।
आयुर्वेद डाक्टर ने करीब चार साल अपने बेटे का खुद इलाज किया, इसके बाद तीन बार में क़रीब 16 करोड़ रुपए का बिल सेना मुख्यालय को भेज दिया। नहीं, दूसरी तरफ इतनी बड़ी राशि का बिल देखकर सेना के अफसर सकते में आ गए। उन्होंने तत्काल भिंड कलेक्टर डॉ. आशीष गुप्ता को पत्र भेजकर मामले की जांच करने का आग्रह किया, जिसपर तत्काल कार्रवाई करते हुए भिंड सीएमएचओ ने एक जांच टीम डॉक्टर के रौन स्थित क्लीनिक भेजी, जहां जांच में इस बात का खुलासा भी हुआ कि, आयुर्वेद डॉक्टर बिना रजिस्ट्रेशन के ही क्लीनिक चला रहा था, साथ ही आयुर्वेद डाक्र होने के बावजूद एलोपेथ की दवाएं बेच रहा था, इतनी अनियमित्ताएं देखने के बाद टीम ने क्लिनिक सील कर दिया।
बी.ए.एम.एस की डिगरी किए आयुर्वेद डॉक्टर से जब जांच टीम ने सेना को भेजे गए बिल के बारे में सवाल किया, तो डाक्टर साहब हक्के बक्के रह गए, उनका कहना था कि,'गलती से इतनी अधिक राशि के बिल भेज दिए गए। जानकारी के मुताबिक़, डॉ.आईएस राजावत रौन कस्बे में आयुष हॉस्पिटल चलाते हैं। इनका बेटा सौरभ सिंह भारतीय सेना की 19 मैकेनिकल इंफेंट्री में पदस्थ है। कुछ समय पहले सौरभ के सिर में चोट लगी। उसे सिर दर्द व चक्कर आने लगे। सौरभ का इलाज मिलिट्री हॉस्पिटल में कराने के बजाय डॉ. राजावत ने खुद शुरू कर दिया। इसके बाद उन्होंने 10 मार्च 2014 और 20 सितंबर 2014 को दो बिल छह-छह करोड़ रुपए भेजे, वहीं 6 मई 2017 को तीसरी बार चार करोड़ रुपए का बिल सेना मुख्यालय को भेज दिया, जिसमें कहा गया कि, जल्द स जल्द बिल राशि का भुगतान करें।
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