जिला अस्पताल के बच्चा वार्ड में भर्ती बच्चों के साथ उनकी मां या अन्य परिजन भी मौजूद थे। जैसे ही वार्ड में आग लगी वार्ड ब्वॉय ने विद्युत केबिल में लगी आग पर काबू पाने के प्रयास शुरू किए। वहीं नर्सों ने बच्चों को सुरक्षा में लेकर उनके संबंधित परिजनों के साथ उन्हें बाहर पहुंचाने का काम किया। 10 मिनट के अंदर घटना की सूचना स्वास्थ्य विभाग के अन्य अधिकारियों तक भी पहुंच गई। ऐसे में बचाव कार्य तुरत फुरत किए गए।
अस्पताल प्रबंधन बोला ओवरलोड विद्युत होने से घटित हुआ हादसा अस्पताल प्रबंधन का मानना है कि बच्चा वार्ड के पास स्थित विद्युत चेंबर पर विद्युत सप्लाई का ओवरलोड था। दो एयर कंडिशनर के अलावा कूलर, पंखे तथा फ्रिज का भी लोड था। हादसे के बाद से विद्युत लोड विभाजित कर कम कर दिया गया है। समय-समय पर पीडब्ल्यूडी इंजीयरों से इलेक्ट्रिक व्यवस्था को अपडेट भी कराया जाता है।
लाइट फिटिंग के दौरान लगाई गई गुणवत्ताहीन केबल अस्पताल के सूत्रों की मानें तो जिला अस्पताल के विभिन्न वार्डो में कराई गई लाइट फिटिंग के दौरान संबंधित ठेकेदार द्वारा गुणवत्ताहीन केबिल डाल दी गई। संबंधित अधिकारियों को निरीक्षण कर कार्य की गुणवत्ता देखने का वक्त ही नहीं मिल पाया। नतीजतन अस्पताल में केबिल में शॉट सर्किट से आग लगने की छिटपुट घटनाएं पूर्व में भी घटित हो चुकीं हैं।
ईश्वर की रही कृपा, अस्पताल प्रबंध का किया शुक्रिया वार्ड से बच्चों को पूरी तरह से सुरक्षित बाहर निकाल दिए जाने पर उनके पालकों ने कहा कि ये ईश्वर की कृपा ही थी कि एक भी बच्चे को किसी प्रकार की परेशानी नहीं हुई वरना थोड़ी देर हो जाती तो वार्ड में भर्ती बच्चों का दम घुटना शुरू हो जाता। बच्चों की माएं बोलीं अस्पताल प्रबंधन ने बचाव कार्य में जो फुर्ती दिखाई उसके लिए वे धन्यवाद के पात्र हैं।
अस्पताल के अन्य वार्डों में भी मच गई थी खलबली आग लगने की खबर जिला अस्पताल के अन्य वार्डों में पहुंची तो मरीजों और उनके अटेंडरों में खलबली मच गई। हालांकि अस्पताल कर्मचारियों ने प्रत्येक वार्ड में पहुंचकर समझाइश दे दी कि किसी को घबराने की जरूरत नहीं है आग को नियंत्रित कर लिया गया है। यदि वार्डों में पहुंचकर समझाने में भी देर करते तो अफवाह के चलते शुरू होने वाली भगदड़ ही जानलेवा साबित हो जाती।