उल्लेखनीय है कि नकल कराने की मंसूबे को प्राथमिकता पर रखते हुए परीक्षा प्रबंधन के जिम्मेदारों ने जीएनम परीक्षा के लिए न तो शासकीय विद्यालय भवन चुना और न ही उसमें केंद्रध्यक्ष सरकारी विद्यालय का प्राचार्य बनाया। लिहाजा अपनी ढपली अपरा राग अलापा जा रहा है। सोमवार को परीक्षा भवन के अंदर करीब डेढ़ दर्जन नर्सिंग कॉलेजों के ६०० परीक्षार्थियों ने एक ही छत के नीचे प्रश्न पत्र हल किए। अनुदान प्राप्त जनता बालक उच्चतर माध्यमिक विद्यालय भवन में इसी विद्यालय के शिक्षक रविकांत शर्मा को केंद्राध्यक्ष बनाया गया है।
एक ही भवन के अंदर सटकर टाटपट्टी पर बैठाए गए परीक्षार्थी एक-दूसरे की उत्तर पुस्तिका देखकर खुले तौर पर नकल करते देखे गए। इसके अलावा अलग से नकल मुहैया कराने के लिए पूर्व नियोजित ढंग से प्राइवेट लोगों को परीक्षा कराने की जिम्मेदारी सौंपी गई है। यही वजह है कि परीक्षा भवन में सरकारी बॉडी का कोई नुमाइंदा नजर नहीं आ रहा। बता दें कि परीक्षा में ज्यादातर परीक्षार्थी उत्तर प्रदेश, राजस्थान एवं बिहार जैसे बाहरी राज्यों से हैं।
60 से 70 हजार रुपए सालान फीस अदा करते हैं उल्लेखनीय है कि सालाना ६० से ७० हजार रुपए कॉलेज को फीस अदा करने के बावजूद उन्हें परीक्षा के लिए फर्नीचर तक उपलब्ध नहीं कराया गया। लिहाजा उन्हें जमीन पर बिछी टाटपट्टी पर बैठकर प्राथमिक एवं माध्यमिक कक्षा के बच्चों की तरह परीक्षा देनी पड़ रही है। सूत्रों की मानें तो परीक्षार्थियों ने इस अव्यवस्था का विरोध इसलिए नहीं जताया क्योंकि उन्हें नकल कराने का आश्वासन प्रबंधन की ओर से दिया गया है।
नोडल अधिकारी बोले साहब.. क्या करें हम तो मदारी के बंदर हैं जीएनएम परीक्षा में अनियमितता व अव्यवस्था पर जब पत्रिका ने नोडल अधिकारी संजय गुप्ता से बातचीत की तो उन्होंने स्पष्ट शब्दों में कहा हम क्या कर सकते हैं। साहब हम तो मदारी के बंदर हैं। न तो वे अव्यवस्था को दुरुस्त किए जाने पर कुछ कह पाए और न ही परीक्षा में नकल कराए जाने के दिए जा रहे अवसर पर अपनी जुबान खोल पाए। बार-बार यही कहते रहे कि यह भिण्ड है आप भी जानते हैं।
ऑब्जर्वर टीम भेजकर जानकारी ली गई है। जीएनएम परीक्षा में अनियमितता व अव्यवस्था के लिए मध्यप्रदेश नर्सिंग कॉउंसिल भोपाल के लिए कार्रवाई प्रस्तावित की है।
डॉ. सतीश कुमार एस, कलेक्टर भिण्ड
डॉ. सतीश कुमार एस, कलेक्टर भिण्ड