मई में कई बार बरसात हो जाने के कारण इस बार अन्य वर्षों की अपेक्षा मच्छरों का प्रकोप ज्यादा है। कोविड-19 के प्रकोप के चलते अधिकांश लोग बिना काम के घर से निकलने में परहेज कर रहे हैं। इन हालातों में डेंगू का प्रकोप और बढऩे की संभावना है, क्योंकि डेंगू फैलाने वाला एंडीज नामक मच्छर घर में भरे रहने वाले साफ पानी में पनपता है और दिन के समय ही काटता है। आकार में बड़ा होने कारण इसे टाइगर मच्छर के नाम से भी जाना जाता है। गोहद के 74 और मेहगंाव के 32 गांव इस बार हाईरिस्क जोन में हैं, क्योंकि इन गांवों में धान की खेती होने से जलभराव की स्थिति रहती है। भिण्ड, अटेर के बाढ़ ग्रस्त इलाकों में भी सतर्कता बरतने के लिए कहा गया है। पिछले पांच सालों के आंकड़ों पर नजर डाले तो 440 लोगों को डेंगू अपनी चपेट में ले चुका है। 2015 में 172 डेंगू के मरीज सामने आए थे। इसके बाद 2016 में डेंगू के 132 मामले सामने आए थे। 2017 में 45, 2018 में 45 और 2019 में 46 डेंगू के मरीज आने से विभाग ने अभी से नियंत्रण के उपाय शुरू कर दिए हैं। अभी कोविड-19 के मरीजों का आना शुरू है। ऐसे मे यदि डेंगू के मरीज भी आना शुरू हो गए तो स्वास्थ्य विभाग की परेशानी और बढ़ सकती है। ग्रामीण क्षेत्र में जागरूकता फैलाने के उद्देश्य से रथ चलाया जा रहा है, वहीं विभाग ने बरसात से पूर्व लार्वा सर्वे कराने की योजना भी तैयार कर ली है।
ये हंै डेंगू बुखार के लक्षण तेज बुखार के साथ तेज सिर दर्द, मांसपेशियों, जोडों में दर्द, आंखों के पीछे दर्द, शरीर पर लाल चकते होना, गंभीर अवस्था में नाक, मसूडों से खून आना आदि है। बुखार के दौरान मरीज को लगातार अधिक से अधिक पानी, फल का जूस, चावल का पानी, ओआरएस का घोल लेना चाहिए।
सेल्फ मेडिसिन हो सकती है घातक
मरीज को एस्प्रिन, सेलीसिलेट, मलेरिया की दवा, अथवा अन्य किसी दर्द निवारक गोलियों का सेवन नहीं कराना चाहिए। डेंगू से बचाव के उपाय
-मच्छर से बचने के लिए फुल आस्तीन के कपडे पहने, सोते समय मच्छरदानी का उपयोग करें, सोते समय मच्छर भगाने वाली अगरबत्ती, रैपिलेंट आदि का उपयोग करें
मरीज को एस्प्रिन, सेलीसिलेट, मलेरिया की दवा, अथवा अन्य किसी दर्द निवारक गोलियों का सेवन नहीं कराना चाहिए। डेंगू से बचाव के उपाय
-मच्छर से बचने के लिए फुल आस्तीन के कपडे पहने, सोते समय मच्छरदानी का उपयोग करें, सोते समय मच्छर भगाने वाली अगरबत्ती, रैपिलेंट आदि का उपयोग करें
-घर के आस-पास गड्ढों में पानी जमा न होने दें, यदि पानी की निकासी संभव न हो तो जला हुआ ऑइल अथवा मिट्टी का तेल डाल दें, घर में पानी से भरे हुए वर्तन टंकी, मटका, बाल्टी आदि को अच्छी तरह ढंक कर रखें।
-घर के अंदर रखे कूलर, टंकी, मटका, बाल्टी आदि का पानी तीन से चार दिन में बदलते रहे तथा सुखा कर ही दुबारा भरे, पानी में छोटे-छोटे कीड़े (लार्वा) दिखाई दे तो सूखी जगह पर पानी को फैला दें।
-घर के अंदर रखे कूलर, टंकी, मटका, बाल्टी आदि का पानी तीन से चार दिन में बदलते रहे तथा सुखा कर ही दुबारा भरे, पानी में छोटे-छोटे कीड़े (लार्वा) दिखाई दे तो सूखी जगह पर पानी को फैला दें।
-परिवार के किसी व्यक्ति को डेंगू बुखार आता है तो उसे आवश्यक रूप से मच्छरदानी में ही सुलाएं, अन्यथा घर के अन्य सदस्य को डेंगू का संक्रमण हो सकता है। कथन
पिछलों सालों के आंकड़े देखे तो डेंगू का जिले में ज्यादा प्रकोप रहा है। कई गांवों में जलभराव की समस्या को देखते हुए अभी से प्रयास शुरू कर दिए गए हैं। कोविड-१९ के साथ हमें डेंगू से भी लडऩा है। दोनों से लडऩे के लिए जागरूकता अहम है।
-डॉ. अजीत मिश्रा, सीएमएचओ सिविल सर्जन भिण्ड
पिछलों सालों के आंकड़े देखे तो डेंगू का जिले में ज्यादा प्रकोप रहा है। कई गांवों में जलभराव की समस्या को देखते हुए अभी से प्रयास शुरू कर दिए गए हैं। कोविड-१९ के साथ हमें डेंगू से भी लडऩा है। दोनों से लडऩे के लिए जागरूकता अहम है।
-डॉ. अजीत मिश्रा, सीएमएचओ सिविल सर्जन भिण्ड