भिण्ड जिले की सीमा में हाइवे -92 की लंबाई करीब 90 किमी है। इस मार्ग पर ट्रैफिक होने के कारण दुघर्टनाएं भी इसी पर सबसे अधिक हुई है। दूसरे नंबर पर भिण्ड-गोपालपुरा मार्ग तथा तीसरे स्थान पर भिण्ड अटेर रोड रहा है। एमपीआरडीसी की ओर से से दुघर्टनाएं रोक ने के लिए कई स्थानोंं पर संकेतक लगाने और ट्रैफिक पुलिस की ओर से चिह्नित किए गए ब्लैक प्वाइंट पर बैरीकेड्स लगा दिए जाने से भी दुघर्टनाओं में मृतकों की संख्या में कमी आने का दावा किया जा रहा है।
करीब एक साल पहले यातायात पुलिस की ओर से दो दर्जन ब्लैक स्पॉट प्वाइंट चिह्नित किए गए थे,गुजरे पांच सालों में अधिकांश हादसे तो इन्हीं प्वाइंटों पर हुए है। हाइवे-92 पर 24 घंटों में 50 हजार से अधिक वाहन दौड़ रहे हैं और बीच में कोई डिवाइडर भी नहीं हैं। इस कारण से भी दुघर्टनाओं की संख्या में कमी नहीं आ रही। डेढ़ साल पहले इस मार्ग को फोर लेन किए जाने का प्रस्ताव भेजा गया था जो अभी भी विचाराधीन हैं।
दुघर्टनाओं के प्रमुख कारण – 25 फीसदी से अधिक चालक वाहन चलाने में शारीरिक रूप से अनफिट -35 से 40 फीसदी वाहन सडक़ों पर दौडऩे की स्थिति में ही नहीं हैं। -चालकों का नशे में वाहन ड्राइविंग करने के कारण भी हादसे हुए।
-लाइसेंस देने से पहले चालक से ट्राइल भी नहीं कराई जाती। चालकों को ट्रैफिक नियमों की जानकारी न होने से भी हादसे हो रहें हैं। -परिवहन विभाग की ओर से कई बार टै्रक्टर ट्रालियों पर रेडियम रिफलेक्टर लगाने के आदेश दिए गए हैं। लेकिन 60 फीसदी से अधिक पर रिफलेक्टर नहीं है।
हाइवे-92 के ब्लैक स्पॉट, यहां हुए अधिकांश हादसे -मालनपुर में हरीराम की पुलिया, गिंगरखी के पास, बरहद, ज्ञानेंद्र पुरा, पुर की नहर के पास, दबोहा मोड़, सेमरपुरा मोड़, सुभाष तिराहा, भारौली मोड़ मंगदपुरा के पास, लहारचुंगी, शासकीय एमजेएस कालेज के सामने, इंदिरा चौराहा, आरटीओ बैरियर, 17 बटालियन जोशीनगर, डिडी प्रकाश होटल के पास, कनकूरा क्वारीपुल, निबुआ चौकी, रानीपुरा मोड आदि प्रमुख हैं।
-ब्लॉक स्पॉट पर स्टापर रखवा हादसे रोकने का प्रयास किया है।एमपीआरडीसी को लिखकर विभिन्न स्थानों पर रेडियम संकेतक भी लगाए गए हैं। यातायात नियमों का पालन नहीं करने वालों पर पूरी साल चालानी कार्रवाई की गई है।
नीरज शर्मा ट्रैफिक प्रभारी भिण्ड