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लाखों की सड़कों का नहीं हो रहा रखरखाव

locationभिंडPublished: Dec 19, 2017 11:55:59 pm

Submitted by:

shyamendra parihar

सड़कों के किनारे के पेड़ों व झाडिय़ों की नहीं हो रही सफाई, अटेर विकास खण्ड के आधा दर्जन गांवों की सड़कों के हालात खराब

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भिण्ड. जिले मेंं करोड़ों की लागत से बन रही प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना (पीएमजीएसवाय) की सड़कों का प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना विभाग द्वारा रखरखाव नहीं किया जा रहा है, जबकि सालाना अंतराल पर विशेष रूप से बरसात के बाद इन सड़कों का नियमित रूप से रखरखाव, पेड़ों, झाडिय़ों की कटाई, सड़क के संकेतक साइन बोर्ड्स, माइल स्टोन, पुल पुलियों आदि की मरम्मत की जाना आवश्यक है फिर भी ऐसा नहीं किया जा रहा है। रखरखाव की राशि को खुर्दबुर्द किया जा रहा है। अटेर विकासखण्ड के ग्राम उदन्नपुरा, बलारपुरा, घिनोंची, बिण्डवा आदि गांवों की सड़कें इसका उदाहरण हैं।
भिण्ड अटेर राज्य राजमार्ग पर प्रतापपुरा कस्बे के निकट स्थित ग्राम बलारपुरा के लिए लगभग २.६५ किलोमीटर लम्बी सड़क का निर्माण हुआ है। इस पर शासन ने ४६.०० लाख रुपए व्यय किए। सड़क की परफारमेंस गारंटी अवधि फरवरी २०१६ में पूरी हो चुकी है। अब यह सड़क जनवरी २०२२ तक रखरखाव दायित्व के अधीन है। मप्र ग्रामीण सड़क विकास प्राधिकरण परियोजना इकाई भिण्ड ने २६.४५ लाख रुपए में इसके ०५ साल तक रखरखाव का जिम्मा एक कंस्ट्रशन फर्म को दिया है। हालात यह हैं कि यह सड़क पूरी लम्बाई में कई जगह बैठ गई है। सड़क पर शोल्डर नहीं बनाए गए हैं। अगर बनाए भी गए हों तो अब वह लगभग गायब हैं। मौजूदा में इस सड़क पर वाहनों के लिए केवल संकरा डामरीकृत कैरिज-वे ही उपलब्ध हैं, जिससे कईबार आमने-सामने से आने वाले वाहनों को क्रॉसिंग में परेशानी होती है। यही हालत एक अन्य गांव घिनोंची की सड़क की है। इस गांव के लिए लगभग १.६ किलोमीटर लम्बी सड़क का निर्माण ७०.७६ लाख रुपए की लागत से हुआ है। यह सड़क पिछले डेढ़-दो साल से बन रही है। गांव के निकट का कुछ हिस्सा सीमेन्ट कंक्रीट से बनाया गया है, जबकि शेष हिस्सा डामरीकृत है। ग्राम उदन्नपुरा की पीएमजीएसवाय सड़क के दोनों किनारों पर बेशुमार झाडिय़ां और पेड़ उगे हुए हैं, जिनकी शाखाएं सड़क तक आ गई हैं। लोगों को इस सड़क से सुविधापूर्वक आना जाना मुश्किल हो रहा है। कई सड़कों पर माइल स्टोन व रोड संकेतक बोर्ड ही नहीं हैं।
सड़कों के सालाना मेंटेनेंस में होते हैं ये काम

बारिश के बाद जहां जरूरत हो एक बार सड़कों के कटाव को भरना, जरूरत के अनुसार, सड़कों केकटे हुए शोल्डर्स पुन: बनाना, जहां जरूरत हो वहां डामर, गिट्टी की सड़कों के गड्ढे भरना तथा पेचवर्क करना। पहाड़़ी क्षेत्रों में सड़कों के किनारे नालियों का वर्ष में दो बार रखरखाव, दो बार पुलियों का रखरखाव करना। सड़कों के रोड-साइन (संकेतक साइन बोर्ड्स) की वर्ष में एक बार मरम्मत, मीटर एवं किलोमीटर स्टोन्स की वर्ष में एक बार रिपेयरिंग, स्पीडब्रेकर, गार्डस्टोन्स की वर्ष में दो बार पुताई रंगाई, वर्ष में एक बार गार्ड स्टोन्स की पुनस्र्थापना, सडकों के पुल पुलियों की पैरापेट वॉल्स व क्षतिग्रस्त सुपरस्ट्रक्चर्स की मरम्मत व रंगाई पुताई कराना। इसके अलावा वर्ष में एक बार सड़कों के किनारे बेतरतीब उग आने वाले पेड़ों, झाडिय़ों, घास फूस आदि की कटाई और छंटाई आदि भी करानी होती है जो कि अमूमन कभी कराई ही नहीं जाती, जिससे न केवल सड़क की चौड़ाई कम हो जाती है, बल्कि उससे सड़क पर वाहनों का आवागमन भी प्रभावित होता हैऔर दुर्घटनाएं होती हैं। यहां बतादें कि भिण्ड जिले में मौजूदा में ७६ करोड़ रुपए की लागत से ८० किलोमीटर लम्बाई में ६३ पीएमजीएसाय सड़कों का निर्माण हो रहा है, जिनमें से लगभग 32 सड़कें पूर्ण हो चुकी हैं।

पीएमजीएसवाय सड़कें गुणवत्ता के साथ बन रही हैं। जहां भी उनके निर्माण या रखरखाव में अनियमितता तथा लापरवाही बरती जा रही है, शिकायत मिलने पर उनकी जांच की जाएगी और नियमानुसार कार्रवाई की जाएगी।
पीके पाठक, महाप्रबंधक ग्रामीण सड़क विकास प्राधिकरण इकाई भिण्ड

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