scriptLand proposal for medical college stuck in railway board for 14 years | मेडिकल कॉलेज के लिए जमीन का प्रस्ताव 14 साल से रेलवे बोर्ड में अटका | Patrika News

मेडिकल कॉलेज के लिए जमीन का प्रस्ताव 14 साल से रेलवे बोर्ड में अटका

locationभिंडPublished: Jan 31, 2023 09:10:55 pm

Submitted by:

Ravindra Kushwah

20लाख की आबादी हो जाने के बावजूद जिला मेडिकल कॉलेज की सुविधा से दूर है। तीन दशक से 300 बिस्तर की क्षमता वाले जिला अस्पताल के उन्नयन के लिए मेडिकल कॉलेज की दरकार है, लेकिन राजनीतिक और प्रशासनिक उपेक्षा एवं उदासीनता के चलते इसका लाभ नहीं मिल पा रहा है। 14 वर्ष पूर्व शुरू हुई कवायद में पुराने रेलवे स्टेशन की भूमि के हस्तांतरण का प्रस्ताव भी भेजा गया था, लेकिन झांसी के बाद यह आगे नहीं बढ़ पाया।

मेडिकल कॉलेज-भिण्ड
पुराना रेलवे स्टेशन परिसर जहां कॉलेज प्रस्तावित था।
रवींद्र सिंह कुशवाह, भिण्ड. जिले की सीमाएं पूर्व में आलमपुर से पश्चिम में अटेर तक करीब 150 किलोमीटर तक फैली हैं। इसी प्रकार उत्तर में चंबल से दक्षिण में मालनपुर तक करीब 80 किमी का हिस्सा जिले की सीमाओं में है। यहां के मरीजों को गंभीर अवस्था में ग्वालियर रेफर किया जाता है। ऐसे में मरीजों के जीवन पर संकट बना रहता है। 80 किमी दूर होने से मरीज वाहन को पहुंचने में दो घंटे तक का समय लग जाता है। इस दौरान कई बार अनहोनी हो जाती है। जिला मुख्यालय पर मरीजों की ओपीडी औसतन 800 से एक हजार तक होती है। वहीं 300 की क्षमता के विरुद्ध भर्ती होने वाले मरीजों की संख्या भी 350 तक पहुंच जाती है। ऐसे में मेडिकल कॉलेज की बहुत दरकार है, राजनीतिक स्तर पर बातें तो की जा रही हैं, लेकिन कोई ठोस प्रयास नहीं दिखा है।
वर्ष 2009 में शुरू हुई थी कवायद
जिले को मेडिकल कॉलेज की कवायाद वर्ष 2009 में तत्कालीन कलेक्टर रघुराज एम राजेंद्रन के समय शुरू हुई थी। वर्तमान जिला अस्पताल परिसर को विस्तारित करके इसे मेडिकल कॉलेज का दर्जा दिलाने की कवायद थी। इसके लिए पुराने रेलवे स्टेशन की जमीन के हस्तांतरण के लिए जिला प्रशासन की ओर से एक प्रस्ताव रेलवे मंडल झांसी को भी भेजा गया था। झांसी से इसे अनुमोदन के साथ रेलवे बोर्ड इलाहाबाद भेज दिया गया था, लेकिन बाद में कलेक्टर के स्थानांतरण और राजनीतिक स्तर पर सुस्ती से मामला वहीं दफन हो गया।
25 एकड़ भूमि का खाका था तैयार
मेडिकल कॉलेज के लिए वर्तमान जिला अस्पताल परिसर के अलावा रेलवे स्टेशन परिसर व शासकीय उमावि क्रमांक एक व दो के मैदान को भी इसमें शामिल करने का प्रस्ताव था। रेलवे से जमीन हस्तांतरण की प्रक्रिया पूरी हो जाती तो शासकीय स्कूल परिसरों की जमीन राज्य शासन स्तर का मामला होने से राजनीतिक पहल पर आसानी से मिल जाती। लेकिन दृढ़ राजनीतिक इच्छाशक्ति के अभाव में यह मामला दफन हो गया।
10 लाख की आबादी पर होना चाहिए मेडिकल कॉलेज
नए नियमों के तहत अब 10 लाख की आबादी पर मेडिकल कॉलेज की स्थापना की जाती है। जिले की आबादी तो 20 लाख के ज्यादा हो चुकी है, इसलिए कवायद तेज हो तो यह सुविधा जिले के लोगों को आसानी से मिल सकती है। हालांकि विशेषज्ञों का मानना है कि सामान्य प्रक्रिया में भी मेडिकल कॉलेज जिले को मिलेगा, राजनीतिक पहल होगी तो जल्द मिल सकता है।
कथन-
हमारे समय में तत्कालीन कलेक्टर रघुराज एम राजेंद्रन ने वर्ष 2009 में मेडिकल कॉलेज के लिए पुराने रेलवे स्टेशन की भूमि हस्तांतरण का प्रस्ताव डीआरएम झांसी को भेजा था। वहां से मंजूर भी हो गया था, लेकिन इसमें इलाहाबाद रेलवे बोर्ड से निर्णय होना था। इस दौरान कलेक्टर का स्थानांतरण हो गया और अन्य किसी ने ध्यान नहीं दिया, इसलिए मामला अधर में लटका तो आगे नहीं बढ़ सका।
डॉ. राकेश शर्मा, पूर्व सीएमएचओ, जिला अस्पताल, भिण्ड।
-स्थानीय स्तर पर तो विभाग स्तर से मेडिकल कॉलेज की कोई प्रक्रिया नहीं चल रही। अब 10लाख की आबादी पर मेडिकल कॉलेज का मानक तय हो गया है, इसलिए यह सुविधा तो जिले को मिलना ही है। राजनीतिक पहल होगी तो जल्द हो आ जाएगा, वरना दो साल तक का समय लग सकता है। जिले की आबादी और कैचमेंट एरिया अधिक होने से मेडिकल कॉलेज की जरूरत है।
डॉ. यूपीएस कुशवाह, सीएमएचओ, भिण्ड।
Copyright © 2021 Patrika Group. All Rights Reserved.