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COVID 19 : 15 दिन में महज 127 किसान ही बेच सके 2595 क्विंटल फसल

locationभिंडPublished: May 06, 2020 10:12:45 am

Submitted by:

Gaurav Sen

less purchasing of crop from farmers in bhind : इनसे भी केवल 2 हजार 595 क्विंटल फसल ही खरीदी गई है। जबकि आम दिनों में यह आंकड़ा प्रति दिन का हुआ करता था

less purchasing of crop from farmers in bhind

less purchasing of crop from farmers in bhind

उत्तम त्रिपाठी @ आलमपुर

कृषि उपज मंड़ी आलमपुर में किसानों की परेशान दूर नही हो रही है। बीते 15 दिन में महज 127 किसानों की अपनी फसल की बिक्री कर सके हैं। इनसे भी केवल 2 हजार 595 क्विंटल फसल ही खरीदी गई है। जबकि आम दिनों में यह आंकड़ा प्रति दिन का हुआ करता था। ऐसे में किसानों को हर ओर से नुकसान उठाना पड़ रहा है। वहीं प्रशासन द्वारा फसलों को उचित दामों पर नहीं खरीदे जाने पर कार्रवाई करने की बात कही गई थी। वह भी केवल घोषणा बनकर रह गई है।

गौरतलब है कि खरीदी केंद्रों पर फसल की खरीदी का काम चालू हुए 15 दिन बीत चुके हैं। लेकिन इन दिनों में फसलों की काफी कम खरीदी हो सकी है। वहीं किसान लगातार फसल की बिक्री करने के लिए मैसेज के इंतजार में बैठे हैं। इस हिसाब से ही अगर फसलों की खरीददारी की गई तो अधिकांश किसानों को एमएसपी के तहत फसल की बिक्री करने का मौका ही नहीं मिल पाएगा। इसके साथ ही प्रक्रिया पूरी करने के लिए सालभर का समय भी कम पड़ जाएगा।

यही हाल जिले के आलमपुर में देखने को मिल रहा है। जहां खरीदी केंद्रों पर किसानों के लिए परेशानी बढ़ती जा रही है। वहां किसानों को न तो फसलों के उचित दाम मिल पा रहे हैं और न पर्याप्त फसल की खरीदी हो रही है। बीते दिनों में मात्र ढ़ाई हजार क्विंटर फसल ही बेची जा सकी है। प्रतिवर्ष जिस फसल की एक दिन में ही 4-5 क्वंटल की बिक्री होती थी। उतनी बिक्री 15 दिन में होने से समझा जा सकता है। कि किसानों को किन हालातों का समना करना पड़ रहा है। वहीं अधिकांश किसाने तो अभी मैसेज के ही इंतजार में है।

समर्थन मूल्य से नीचे हो रही फसल की खरीद
आलमपुर में खरीद केंद्र पर किसानों को काफी परेशान होना पड़ रहा है। मैसेज आने के बाद दूर-दूर से किसान गल्ले का परिवहन कर केंद्र पर पहुंचते हैं। लेकिन इसके बाद भी वहां उन्हें गल्ले का उचित दाम नहीं मिल पा रहा है। सरकार द्वारा गेहूं के समर्थन मूल्य की कीमत 1925 रूपए रखी गई है। लेकिन खरीद केंद्र पर किसानों का गेहूं मात्र 1700-1750 रूपए में खरीदा जा रहा है। व्यापारियों द्वारा साठगांठ कर फसलों के दाम को सीमित किया जा रहा है। वे लोग आपस में मिलीभगत कर फसल की कम बोली लगाते हैं। जबकि शासन द्वारा घोषणा की गई थी कि यदि किसी व्यापारी द्वारा कम कीमत पर गल्ले की खरीददारी की गई तो उनके लाइसेंस निरस्त किए जाएंगे। लेकिन व्यापारियों द्वारा प्रशासन के निर्देशों को गंभीरता से नहीं लिया जा रहा है।

कृषि उपजमंडी में व्यापारियों ने साठगांठ कर दो ग्रुप बना लिए हैं। और उनके द्वारा ही बोली को सीमित कर दिया जाता है। जिसके चलते किसानों को फसलों का उचित दाम नहीं मिल पा रहा है।
शशिकान्त त्रिपाठी, कृषक मोहनपुरा

फसलों की बिक्री के लिए 2-4 क्विंटल खरीद करने के हिसाब से मैसेज आ रहे हैं। जिसके लिए परेशान होकर भी क्या मतलब है। इतनी कम फसल के परिवहन में ही खर्चा हो जाएगा। वहीं सुनने में आ रहा है कि फसल की पूरी कीमत भी नहीं मिल रही है।
पंकज पाठक, कृषक वेरखेडा

कम कीमत पर हो रही खरीदी को लेकर गुरूकृपा फर्म के व्यापारी के खिलाफ कार्रवाई की गई है। यदि आगे भी कोई व्यापारी ऐसा करता है। उनके लाइसेंस भी निरस्त किया जाएंगे।
दौलतराम कुशवाह, सचिव कृषि उपज मंडी समिति आलमपुर

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