दुकानों पर सेनेटाइजर और मास्क दोनों थे
पत्रिका टीम ने मास्क और सेनेटाइजर की खुलेआम हो रही कालाबजारी की हकीकत जानने के लिए दो घंटे तक शहर के मेडिकल स्टोर्स पर भ्रमण किया। मास्क और सेनेटाइजर की बेतहाशा हो रही बिक्री के चलते चार दुकानों पर मास्क और सेनेटाइजर भी नहीं था। दो दुकानों पर सेनेटाइजर और मास्क दोनों थे।
10 रुपए कम रेट पर दे रहे हैं
दोनों ही दुकानदार चार गुना अधिक कीमत में सेनेटाइजर बेच रहे थे। स्टिंग में ये नजारा मिला सामनेदोपहर 1:14 बजे पत्रिका टीम जिला अस्पताल के सामने स्थित मोहन मेडिकल पर पहुंची। स्टोर पर मौजूद दुकानदार से मास्क की दर पूछने पर उसने 40 रुपए बताया। जब उससे कहा गया कि मास्क की निर्धारित दर 10 रुपए है तो जवाब मिला कि कल 50 रुपए में बिका था, आज फिर भी 10 रुपए कम रेट पर दे रहे हैं।
सेनेटाइजर की दर भी 100 रुपए है
1:27 बजे बृज मेडिकल पर मास्क मांगा तो उसने भी 40 रुपए ही दर बताई। इसी स्टोर पर सेनेटाइजर देखा तो नीले रंग का गुणवत्ताहीन सेनेटाइजर लाया गया। पत्रिका ने मौके पर ही उसका उपयोग करके भी देखा जिसकी गुणवत्ता निम्न स्तर की सामने आई। 100 मिलीलीटर का पैक 100 रुपए में दिया जा रहा था जबकि इतने ही वजन का गुणवत्तायुक्त सेनेटाइजर की दर भी 100 रुपए है।
30 हजार के मास्क से रोज कमा रहे लाखों
भिण्ड शहर के अलावा गोहद, मेहगांव, गोरमी, मौ, लहार, फूप, ऊमरी, रौन एवं मिहोना आदि कस्बे के करीब 100 से अधिक मेडिकल दुकानों पर प्रतिदिन 3000 से 3200 मास्क विक्रय किए जा रहे हैं। 10 रुपए की दर से 30 से 32 हजार रुपए की औसत बिक्री होनी चाहिए लेकिन इन दिनों लगभग 3000 मास्क की विक्रय से रोज एक से डेढ़ लाख रुपए आय अर्जित हो रही है। सेनेटाइजर में कितना कमाया जा रहा है इसका अंदाजा भी सहज ही लगाया जा सकता है।
खांसी-जुकाम से ग्रसित व्यक्ति करें मास्क का उपयोग, साधारण व्यक्ति को जरूरत नहीं
सिविल सर्जन एवं प्रभारी सीएमएचओ डॉ. अजीत मिश्रा के अनुसार प्रत्येक व्यक्ति को मास्क लगाने की आवश्यकता नहीं है। खांसी-जुकाम से ग्रसित लोग न सिर्फ मास्क उपयोग करें बल्कि रूमाल के बजाए पेपर नैपकिन स्तेमाल करें। स्वस्थ व्यक्तियों के मास्क उपयोग करने से मास्क की क्राइसिस उत्पन्न हो रही है, जिसका कुछ ड्रग सप्लायर मुनाफाखोरी कर फायदा उठाने का मौका तलाश रहे हैं।