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आबूरोड : मार्बल ब्लॉक लदे ट्रकों व डम्परों से सड़क हो रही कमजोर

locationभिंडPublished: Feb 15, 2017 11:15:00 am

Submitted by:

rajendra denok

आबूरोड-रेवदर मार्ग पर सेलवाड़ा (रेवदर) की खदानों से मार्बल के भारी-भरकम ब्लॉक व पत्थरों का लदान कर आबूरोड की मार्बल फैक्ट्रियों में आने वाले ट्रक, ट्रोलर व डम्पर अन्य वाहन चालकों व राहगीरों के लिए तो जोखिम बने हुए ही है, इस रोड का भी कचूमर निकाल रहे है।

आबूरोड : मार्बल ब्लॉक लदे ट्रकों व डम्परों से सड़क हो रही कमजोर

trucks transporting marble blocks are vulnerable for roads

 आबूरोड-रेवदर मार्ग पर सेलवाड़ा (रेवदर) की खदानों से मार्बल के भारी-भरकम ब्लॉक व पत्थरों का लदान कर आबूरोड की मार्बल फैक्ट्रियों में आने वाले ट्रक, ट्रोलर व डम्पर अन्य वाहन चालकों व राहगीरों के लिए तो जोखिम बने हुए ही है, इस रोड का भी कचूमर निकाल रहे है। अक्सर ये हादसे का सबब तो बनते ही रहते है, पर इनसे सड़क को होने वाले नुकसान के कारण आबूरोड से लेकर करोटी तक पूरा रोड ही ऊबड़-खाबड़ हो जाता है। सार्वजनिक निर्माण विभाग ने इस रोड की कई बार मरम्मत करवा ली, पर कुछ समय बाद ही या तो इस पर खड्डे पड़ जाते है या डामर उखड़ जाता है। बारिश के दिनों में खड्डों में पानी भरने पर हालत और खस्ता हो जाती है। खड्डों और इन भारी भरकम माल वाहक वाहनों की बदौलत होने वाले हादसों में कई घायल होते रहते है तो कई फानी दुनिया ही छोड़ जाते हैं। कई बार लोग घायल होते है तो कई बार अन्य वाहन भी बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो जाते हैं।साथ ही क्षमता से अधिक वजन ढोने के कारण सड़क भी बुरी तरह क्षतिग्रस्त हो रही है। इसके बावजूद जिम्मेदारों की ओर से इनके खिलाफ गाहे-बगाहे ही कार्रवाई की जाती है।
ोड भी भारी वजन सहने को नहीं सक्षम
यह रोड जिस क्वॉलिटी का बना हुआ है वह महज एक ट्रक या ट्रोलर में दस टन का वजन सहन करने के लिए ही सक्षम है। होता इससे उल्टा है। ट्रक या ट्रोलर या डम्पर में बीस से तीस टन का वजन लदा होने से सड़क इनकी मार नहीं झेल पाती और क्षतिग्रस्त होती रहती है।ट्रक-ट्रोलर व डम्पर ओवरलोड होने अथवा इनमें लदे मार्बल ब्लॉक व पत्थर उनकी बॉडी से बाहर निकले होने के बावजूद परिवहन विभाग या पुलिस की ओर से कोई कार्रवाई नहीं की जाने से इनके हौंसले बुलंद है।
रोड डेढ़ लाइन होने से खतरा
करीब तैतीस किलोमीटर लम्बे इस मार्ग पर आबूरोड से लेकर मूंगथला तक दस किलोमीटर तक तो यह डबल लेन का है, लेकिन मूंगथला से करोंटी तक करीब तेईस किलोमीटर यह डेढ़ लाइन (इंटर मीडिएट लेन) ही है। ट्रक, ट्रोलर व डम्पर की चौड़ाई भी कुछ ज्यादा ही होती है। फिर इसमें लादे जाने वाले मार्बल के ब्लॉक इनकी बॉडी से भी बाहर निकले हुए होते हैं। ऐसी हालत में साढ़े पांच मीटर की चौड़ाई वाले इस मार्ग पर सामने से कोई वाहन या पीछे से आकर ओवरटेक करने वाले वाहन को इनसे बचकर निकलना मुश्किल हो जाता है। कई बार ट्रक या ट्रोलर की बॉडी से बाहर निकले ये ब्लॉक अन्य वाहनों से टकराने पर हादसे होते रहते हैं। चूंकि सेलवाड़ा में मार्बल की कई खदाने होने से रात-दिन ट्रकों, ट्रोलरों व डम्परों में ब्लॉक का परिवहन जारी ही रहता है।
छोटे वाहन चालकों से दादागीरी
दो वाहन आमने-सामने आ जाने पर मार्बल ब्लॉक लदे ट्रक या ट्रोलर या डम्पर के चालक दादागीरी पर उतरते हुए अपने वाहन को थोड़ा सा भी पटरी पर नहीं उतारने के लिए अड़ जाते हैं। मरने-मारने पर भी उतारू हो जाते हैं। बस या कार या जीप के लिए साइड की पटरी कहीं खराब होने के बावजूद उन्हें यात्रियों की जान को जोखिम में डालकर इनसे बचकर निकलने को विवश होना पड़ता है।
इन्होंने बताया …
दरअसल हमारा क्षेत्राधिकार तो मूंगथला से थोड़ा सा आगे तक ही है। वहां से रेवदर तक का रोड मंडार वालों के क्षेत्राधिकार में आता है। फिर भी हम कई बार ओवर लोडेड ट्रकों के खिलाफ तो कार्रवाई करते ही है।
– मोहम्मद रफीक, डीटीओ, आोबूरोड।
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