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लॉकडाउन में 500 से अधिक छोटे कारोबारियों ने बदला व्यवसाय

locationभिंडPublished: Apr 29, 2020 04:41:56 pm

अन्य काम की अनुमति नहीं होने से फ ल-सब्जी का ठेला लगाने को मजबूर

लॉकडाउन में 500 से अधिक छोटे कारोबारियों ने बदला व्यवसाय

लॉकडाउन में 500 से अधिक छोटे कारोबारियों ने बदला व्यवसाय

अमायन/भिण्ड. कोरोना संक्रमण के चलते जिलेभर में हुए लॉकडाउन के बाद सभी छोटे-मोटे धंधे बंद होने से 500 से अधिक ठेला व गुमटी कारोबारी ऐसे हैं जिन्होंने अपना व्यवसाय बदल लिया है। रोज कमाकर खाने वाले इन लोगों ने अब फ ल व सब्जी का कारोबार शुरू कर दिया है जिससे इनके परिवार का गुजारा हो रहा है। लॉकडाउन के पहले ये लोग दूसरा व्यवसाय कर रहे थे।
गौरतलब है कि लॉकडाउन हुए करीब 40 दिन बीत चुके हैं। इसके बाद भी लॉकडाउन खुलने के कम ही आसार नजर आ रहे हैं। ऐसे में प्रशासन की तरफ से आवश्यक वस्तुओं को छोड़ बाकी सभी कारोबारों पर प्रतिबंध लगा दिया गया है, जिसके चलते गरीबों की जिंदगी पर काफ ी असर पड़ा है। ठेले व गुमटी लगाने वाले गरीब परिवारों के लिए दो जून की रोटी जुटाना भी मुश्किल हो रहा है। जो लोग बीते दिनों अपने ठेलों पर चाट, टिक्की, छोले भटूरे, चाउमीन, पेटीस जैसे अन्य प्रकार के खाने के व्यंजन बेचा करते थे। वे अब फ ल व सब्जी के ठेले लगा रहे हैं। लोगों का कहना है कि वे रोज कमाकर अपने परिवार का पालन-पोषण कर रहे थे, लेकिन आमदनी का कोई ठिकाना नहीं रहा है। अब तो घर में खर्चे के लिए पैसे नहीं बचे हैं। वहीं रोजी रोटी को लेकर किसी के सामने हाथ न फैलाना पड़े इसलिए सब्जी व फ लों की बिक्री कर खर्च निकाल रहे हैं।
ऑटो चालक भी बेच रहे सब्जी व फल

इन दिनो लॉकडाउन के चलते लोग घरों में कैद हैं। वहीं प्रशासन ने भी सभी तरह के परिवहन पर रोक लगा दी है। इसके चलते जिले भर में ऑटो व ई-रिक्शा चालकों का रोजगार खत्म हो गया है। ऐसे में लगभग 100 से अधिक ऑटो व ई-रिक्शा चालक सब्जी व फ ल का ठेला लगा रहे हैं।
गर्मी के दिनों में कुल्फी जमाने का काम करते थे जिससे लगभग 20 से 30 हजार रुपए की आमदनी हो जाती थी, लेकिन इस बार लगता है पूरे सीजन में कुल्फ ी की बिक्री नहीं हो पाएगी। इसलिए परिवार के भरण पोषण के लिए अब सब्जी का ठेला लगा रहे हैं।
मकेश कुशवाह, कुल्फ ी विक्रेता
टिक्की व चाट का ठेला लगाया करते थे। उसे चालू करने की अभी अनुमति नहीं है। किराए पर कमरा लेकर रहते हैं। जिसका किराया भी निरंतर चल रहा है। ऐसे में मजबूरी में फ ल का ठेला लगाना पड़ रहा है।
– रमेश कुमार
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