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कोरोना के साथ कुदरत के कहर ने किया किसानों को बर्बाद

locationभिंडPublished: Mar 27, 2020 10:24:42 pm

Submitted by:

rishi jaiswal

शुक्रवार को सुबह एक घंटे तक हुई रिमझिम बरसात से खेतों से काटकर खलिहानों में रखी गई सरसों और चना की फसल भीग गई है।

कोरोना के साथ कुदरत के कहर ने किया किसानों को बर्बाद

कोरोना के साथ कुदरत के कहर ने किया किसानों को बर्बाद

भिण्ड. कोरोना के साथ कुदरत के कहर ने किसानों को बर्बाद कर दिया है। शुक्रवार को सुबह एक घंटे तक हुई रिमझिम बरसात से खेतों से काटकर खलिहानों में रखी गई सरसों और चना की फसल भीग गई है। करीब 1 सप्ताह तक थ्रेसिंग का कार्य होना संभव नहीं है। इस दौरान दानों में अंकूर फूटने की संभावना से किसानों को भारी नुकसान होने की संभावना है।
15 मार्च से जिले में सरसों की फसल खेतों से कटकर खलिहानों में आना शुरू हो गई थी। इसके बाद ही पहले जनता कफ्र्यू और फिर 21 दिनों के लॉकडाउन के चलते प्रशासन की ओर से डीजल पेट्रोल के विक्रय पर रोक लगा दिए जाने से किसानों को भी डीजल की आपूर्ति नहीं हो पा रही।
इससे किसान फसल की थ्रेसिंग नहीं करा पा रहे। इसके अलावा हार्वेस्टरों को भी जिले की सीमा में दाखिल नहीं होने देने से किसान को संकट से जूझने का कोई उपाय दिखाई नहीं दे रहा। पिछले दस दिनों से फसल खलिहानों में रखी हुई है। फसल की रखवाली के लिए किसानों को रात खेतों पर ही गुजारनी पड़ रही है।
20 दिन पहले ही तेज हवा के साथ बरसात और ओलावृष्टि होने से किसानों की फसल को 80 फीसदी से अधिक नुकसान हो गया था। इसका सर्वे तक शुरू नहीं हो पाया है और कुदरत के कहर और कोरोना के कोप ने उसे मुसीबत में डाल दिया है। डीजल न मिलने से किसान थ्रेसिंग का कार्य नहीं कर पा रहा।
लॉकडाउन के चलते किसान ग्रीष्मकालीन फसल की तैयारी नहीं कर पा रहा। जुताई के लिए डीजल नहीं मिल रहा। लॉकडाउन के कारण खाद-बीज बीज का संकट पैदा हो गया है। बरसात के कारण लहार, मेहगाँव, गोहद, गोरमी, मौ, फूप अंचल में नुकसान है।

लॉकडाउन और बढ़ा तो किसानों की टूट सकती है कमर

जिले के अधिकांश किसान सरसों की फसल पर निर्भर है। सरसों बेचकर किसान घर खर्च चलाने के साथ आगे आने वाली खरीफ की फसल की तैयारी भी करते हैं। लॉकडाउन आगे बढ़ता है तो किसानों की कमर टूट जाएगी। किसान डीजल लेने के लिए आते हैं लेकिन उन्हें लौटा दिया जाता है। पेट्रोल पंप संचालकों को सिर्फ सरकारी वाहनों को पेट्रोल-डीजल देने के आदेश हैं।

अन्नदाता पर कुदरत की तिहरी मार-बाढ़, ओलावृष्टि के बाद अब बरसात से फसल को नुकसान


कदौरा. चंबल नदी में अगस्त एवं सितंबर में आई बाढ़ से किसानों के खेतों में खड़ी खरीफ की फसल चौपट होने पर किसानों ने रबी फसलों से आशाएं थी। ओलावृष्टि एवं बारिश से खेतों में कटी पड़ी तथा कटने को तैयार फसलों को हो रहे नुकसान से किसानों के दिलों की धड़कने बढ़ी हुई हैं।
ओलावृष्टि से 1500 एकड़ सरसों, गेहूं, चना की फसलों का 70से 80 फीसदी तक नुकसान हुआ था। अब धूप निकलेगी वैसे ही फलियां चटक जाने से दाने जमीन पर बिखर जाएंगे।

अभी जहां वर्षा अधिक हो गई है वहां खेतों में कटी रखी सरसों, चना की गीली हो चुकी फसल की थ्रेसिंग करने में परेशानी आएगी। सूखने पर फलियों के चटकने से खेत में बिखरना शुरू हो जाएगा।
एसके चतुर्वेदी, वरिष्ठ कृषि विस्तार अधिकारी, अटेर

किसानों ने ग्रीष्मकालीन मूंग एवं उड़द की फसल पैदा करने के लिए खेत की जुताई कर तैयार कर लिया। कोरोना के कारण लॉकडाउन में खाद-बीज की दुकानें बंद हैं। जब तक स्थिति सामान्य होगी तब तक बोवनी का समय निकल जाएगा।
-सुरेश शर्मा, किसान रैपुरा
खरीफ की फसल को चंबल नदी में आई बाढ़ ने चौपट कर दिया था। अभी चना की फसल पैदा की थी जो बीते दिनों हुई ओलावृष्टि एवं आए दिन हो रही वर्षा से खराब हो गई है ।
-अशोक यादव किसान अटेर

लॉकडाउन को सफल बनाने के लिए पेट्रोल पंप बंद किए गए थे। आज से पेट्रोल पंप खुलना भी शुरू हो गए हैं।हमारी ओर से शीघ्र ही किसानों को डीजल की व्यवस्था करने की व्यवस्था की जा रही है।
-छोटेसिंह, कलेक्टर भिण्ड
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