जिला पंचायत की ओर से पिछले तीन सालों में 1.62 लाख के विपरीत 1.20 लाख शौचालयो के निर्माण का दावा किया जा रहा है। शेष बचे शौचालयों का निर्माण कार्य पूरा कराने में नियमों के आड़े आने से अधिकारियों को पसीना आ रहा है। क्योंकि शेष बचे हितग्राहियों के पास शौचालयों का निर्माण कराने के लिए पैसा नही हैं। यहां बता दें कि सरकारी नियमों में निर्माण से पहले भुगतान करने का प्रावधान नहीं होने से समस्या खड़ी हो रही है। नियमानुसार शौचालय का हितग्राही के साथ फोटोस्वच्छ भारत के पोर्टल पर अपलोड होने के बाद भी सीधे खाते में भुगतान किया जाता है। ओडीएफ घोषित करने की तिथि नजदीक आते देख अधिकारियों ने सरपंचों से सहयोग की अपेक्षा की है। करीब एक माह पहले सरपंच सचिवों बैठक बुलाई गई थी, जिसमें गरीब हितग्राहियों को बाजार से सीमेंट, सरिया, ईंट और रेत उधारी में दिलाने और भुगतान के बाद हितग्राहियों से पैसा लेने का प्रस्ताव रखा गया है। मगर कई सरपंचों ने अभी तक इस दिशा में कोई रूचि नहीं दिखाई है। सरपंचों को डर है कि सामान उधारी पर दिलाने के बाद यदि हितगाहियों ने पैसा वापस नहीं दिया तो उनके सामने नई परेशानी खड़ी हो सकती है। प्रशासन की ओर से पहले गंाधी जयंती पर सभी पंचायतों को ओडीएफ घोषित करने का ऐलान किया था, लेकिन शौचालयों का निर्माण न हो पाने के कारण इसे बढ़ाकर मार्च-२०१८ कर दिया गया। मगर इस तिथि पर भी सफलता मिलना संभव नहीं लग रहा।
दो माह में कैसे बन सकेंगे शौचालय चार सैकड़ा पंचायतों में शत प्रतिशत शौचालयों का निर्माण नहीं हो पाया है। प्रत्येक गांव में २० से ५० तक ऐसे परिवार हैं जिनके पास निर्माण कराने के लिए १२ हजार का इंतजाम नहीं है, पहले भुगतान का नियम न होने से दिक्कत खड़ी हो रही है। इस संबंध में सरपंचों से चर्चाकर रास्ता निकालने का प्रयास किया जा रहा है। दो माह में इतने शौचालय बनाना संभव नहीं हैं।
राकेश खरे परियोजना अधिकारी भारत स्वच्छता अभियान (जिला पंचायत)