शासन की मंशा स्कूली वाहनों को पूरी तरह से सुरक्षित स्थिति में चलवाए जाने की है इसके तहत परिवहन विभाग द्वारा निश्चित मान से बच्चों को वाहनों में बैठा लेने के साथ ही वाहनों में स्पीड गर्वनर, सीसीटीवी कैमरा, जीपीआरएस, अग्निशमन
यंत्र , फस्र्टएड बाक्स लगवाने की हिदायत दी। इस बारे में वाहन संचालकों का कहना है कि उन्हें स्कूल संचालकों एवं अभिभावकों से इतनी राशि प्राप्त नहीं होती है कि वाहन में निर्धारित क्षमता अनुसार बच्चों का आवागमन करा सकें। अगर निर्धारित क्षमता अनुसार बच्चे बैठाएंगे तो प्रति बच्चा शुल्क काफी बढ़ जाएगा। इसके लिए अभिभावक तैयार नहीं होंगे। वाहन संचालकों ने चालू शिक्षण सत्र में जैसी व्यवस्था चल रही है वैसी ही चलने दी जाए और आगामी शिक्षण सत्र से सभी नियम लागू कर दिए जाएं।
वाहन संचालकों ने दी चेतावनी : स्कूल वाहन संचालकों द्वारा चेतावनी दी गई है कि अगर आरटीओ द्वारा सख्ती की जाएगी तो वाहन खड़े करने के लिए मजबूर होना पड़ेगा। शासन के आदेश और परिवहन मंत्री के निर्देशों का अक्षरश: पालन कराया जाएगा। हम बच्चों की सुरक्षा को लेकर कोई कोताही नहीं बरतना चाहते।
अर्चना परिहार, आरटीओ एक वाहन में सात बच्चे लाएंगे तो एक हजार रुपया प्रति बच्चा प्रतिमाह उपलब्ध मिलना चाहिए जबकि पांच सौ रुपए मिलते हैं। रामगोपालसिंह, वाहन संचालक प्रशासन का 11 बच्चे लाने का आदेश है। इसमें वाहन चला पाना मुश्किल होगा। एक बार में 15 बच्चों की अनुमति और 1000 रुपए मिलना चाहिए।
देवेंद्र जोशी, वाहन संचालक शासन की गाइड लाइन के अनुसार ही जिले में स्कूल वाहन चल सकेंगे। छात्रों की सुरक्षा के साथ कोई समझौता नहीं होगा। अभिभावकों से अपील है कि वे बच्चों की सुरक्षा के लिए आर्थिक जोखिम उठाने से परहेज न करें।
इलैया राजा टी, कलेक्टर