मायाचंद्र धर्मशाला परिसर को अतिक्रमण से मुक्त कराने के लिए महेंद्र नगर नबादा निवासी धर्मेंद्र ङ्क्षसह भदौरिया ने हाईकोर्ट की ग्वालियर खंडपीठ में याचिका क्रं.231241/2017 दायर की थी। हाईकोर्ट की ओर से 21 अगस्त 2019 के आदेश के परिपालन में नपा ने धर्मशाला की जमीन पर अवैध रू प से अतिक्रमण करने वाले 20 दुकानदारोंं को 10 दिन पहले नोटिस जारी किए थे। नोटिस का उत्तर 7 दिन में दिया जाना था। नपा को अभी तक आधा दर्जन से अधिक दुकानदारों के उत्तर प्राप्त हुए है। इनमें किरायानामा या मालिकाना हक से संबंधित कोई दस्तावेज न होने के कारण नपा संतुष्ट नहीं है। 72 साल पहले 1947 में 9000 वर्गफीट जमीन धर्मशाला के निर्माण के लिए दी थी। इसके बाद इसी के बगल में 9100 वर्गफीट जमीन पार्क निर्माण के लिए दी गई थी। धर्मशाला का विकास करने के लिए 1960 में ट्रस्ट ने नपा से शर्त अनुमति लेकर 14 दुकानो का निर्माण करा दिया। इन दुकानों को किराए पर लेने वाले दुकानदारों ने कुछ सालो तक तो किराया दिया। इसके बाद देना ही बंद कर दिया। आधा दर्जन से अधिक दुकानदारों ने 20 साल से किराया नहीं दिया है।
एडीजे कोर्ट से भी हार चुके हैं दुकानदार,पेश नहीं कर पाए विश्वसनीय दस्तावेज : धर्मशाला ट्रस्ट और दुकानदारो के बीच एडीजे षष्ठम कोर्ट में प्रकरण चला था। दुकानदार ने तो किरायानामा पेश कर पाए, न ही मालिकाना हक जताने वाला कोई अन्य दस्तावेज। कोर्ट ने इसी आधार पर ट्रस्ट के पक्ष में निर्णय दिया था। इसके पहले कलेक्टर और आयुक्त कोर्ट से भी ट्रस्ट के पक्ष में निर्णय हो चुका है। नोटिस के जवाब में दुकानदारों की ओर से नजूल से जारी एक खसरा की नकल पेश की गई है। ट्रस्ट की ओर से इसकी विश्वसनीयता पर सवाल खड़े किए गए हैं। खसरे की एक नकल में दुकानदारों के नाम संवत 2009 में इंट्री किए गए है। इंट्री किसके आदेश पर की गई है इसका जिक्र कहीं पर नहीं है।
जमीन पर हो पार्क का निर्माण मायाचंद्र पार्क मंदिर ट्रस्ट के प्रबंध न्यासी सुमेरचंद्र अग्रवाल ने बताया कि सिंधिया स्टेट के समय पार्क का निर्माण करने के लिए जमीन ट्रस्ट को उपलब्ध कराई गई थी। इसके बाद विकास कार्य को आगे बढ़ाने के लिए नपा से अनुमति लेकर दुकानोंं का निर्माण कराया गया। नपा ने अनुमति देने के समय शर्त रखी थी कि परिसर में निर्मित दुकानों को कभी भी तोड़ा जा सकता है। नोटिस के उत्तर में दुकानदारों की ओर से एक खसरे की नकल पेश की गई है। खसरे में इंट्री संवत 2009 में की गई है। यानि इंट्री को करीब 67 साल हो चुके है लेकिन एक भी दुकानदार की आयु 60 साल से ’यादा नहीं है। या तो खसरे की नकल फर्जी है नहीं तो इससे पहले इसे कोर्ट में पेश क्यों नहीं किया गया। हम चाहते हैं कि पार्क की जमीन पर पार्क का ही निर्माण हो।
नपा ने इनको दिए नोटिस हाईकोर्ट के आदेश के परिपालन में नपा ने संतोष कुमार राजोरिया, विश्वजीत कुशवाह, ब्रह्मलाल शिवहरे, कौशलेंद्र सिंह भदौरिया, रामकुमार पाठक, शंभूसिंह कुशवाह, प्रमोदङ्क्षसह तोमर, डा. आशुतोष जोशी, राजेशसिंह चौहान, धीरजङ्क्षसह तोमर, गुलाब चंद्र अग्रवाल, सुमेरचंद्र अग्रवाल, शांति लाल जैन, सुरेश कुमार शिवहरे, विजय कुमार जैन, सुरेश सिंह भदौरिया,सुरेशसिंह कु शवाह, महेश चंद्र जैन, धीरजङ्क्षसह, सुरेशसिंह आदि है।
हाईकोर्ट में दायर याचिका के तारतम्य में मायाचंद्र धर्मशाला परिसर में स्थित दुकानदारों को नोटिस जारी किए गए हैं।उत्तरों के आधार पर ही अपना पक्ष रखेंगे। दस्तावेज विश्वसनीय नहीं पाए गए तो नपा द्वारा अतिक्रमण हटाने की कार्रवाई क रेगी।
सुरेंद्र शर्मा सीएमओ नपा भिण्ड कई दुकानदारों ने नोटिस का उत्तर नहीं दिया है। जो उत्तर आए है उनके साथ एक खसरे की छायाप्रति लगी है। इसकी विश्वसनीयता पर शक है। हम इसका परीक्षण करवा रहे हैं। विभिन्न न्यायालयों में चले प्रकरणों में भी इसका प्रयोग नहीं किया गया है।
सावित्री जादौन प्रभारी अतिक्रमण शाखा नपा भिण्ड