क्वारी पुल का निर्माण साठ के दसक में हुआ था। निर्माण के समय ग्वालियर इटावा मार्ग था और उस समय के हिसाब से ३० टन की क्षमता का पुल बनाया गया था। १८ साल पहले मार्ग को हाइवे के रूप में स्वीकृत प्रदान की गई। ६ साल पहले सड़क का चौड़ीकरण कर टू लेन कर दिया गया, मगर न तो पुल की क्षमता में वृद्धि की गई और न ही नए पुल का निर्माण कराया गया, जबकि वर्तमान में पुल के ऊपर से ७०-७० टन बजन के हैवीलोड वाहन गुजर रहे हैं। चार साल पहले साइड से एक और पुल का निर्माण कराने का प्रस्ताव शासन को भेजा है, लेकिन यह भी ठंडे बस्ते में पड़ा है। चंबल और यमुना की तुलना मेंं क्वारी पुल सबसे पुराना होने के कारण इसकी स्थित ज्यादा खराब बताई जा रही है। वैसे तो शासन के द्वारा तीन साल में ही चार बार मेंटेनेंस हो चुका है। पर पुल के ऊपर ही मेटेरियल डालकर औपचारिकताएं पूरी कर ली जाती हैं।
प्रतिदिन निकलते हैं २० हजार से अधिक वाहन हाइवे-९२ पर होने के कारण क्वारी पुल के ऊपर से प्रतिदिन २० हजार से अधिक वाहन निकलते हैं। इनमें दो हजार से अधिक हैवीलोडिंग वाहन होते हैं। शेष वाहन लाइट फोरव्हीलर तथा टूव्हीलर होते हैं। गड्ढों के कारण टू व्हीलर वाहनों का निकल पाना मुश्किल हो जाता है। रात के समय तो कई बाइकर्स दुघर्टना के शिकार भी हो चुके हैं।
-पुल के संबंध में जानकारी आ चुकी है, लेकिन बरसात का मौसम होने के कारण मेंटीनेश का कार्य संभव नहीं है। बरसात के बाद काम कराया जाएगा। रोड का भी मेंटेनेंश कराया जाएगा। राजेश दाहिमा उपमहाप्रबंधक एमपीडीआरसी ग्वालियर