स्थिति ये है कि मीजल्स रूबेला का टीका लगाए जाने से गुजरे चार दिन में आधा सैकड़ा बच्चों की हालत बिगड़ गई। बच्चों को जिला अस्पताल में भर्ती कराया गया है। इनमें से कुछ बच्चों की हालत तो इतनी गंभीर हो गई कि उन्हें ग्वालियर रैफर किया गया है। हालांकि चिकित्सकों का कहना है कि इन्फेक्टेड बच्चों का स्वास्थ्य परीक्षण किए बिना टीका लगाने से ऐसी स्थिति सामने आई। टीकाकरण में किसी प्रकार की चिंता वाली बात नहीं है।
खसरा उन्मूलन के लिए चलाए जा रहे मीजल्स रूबेला अभियान के तहत नौ माह से १५ वर्ष तक के बच्चों को टीके लगाए जा रहे हैं। टीका लगने से चार दिन में जिले में अभी तक ५० से ज्यादा बच्चों की हालत बिगड़ चुकी है। ऐसे में बच्चों के माता-पिता न केवल भयभीत हैं बल्कि जिन बच्चों को अभी टीके नहीं लग पाए हैं वे टीकाकरण से बचते नजर आ रहे हैं। यहां बता दें कि शासन की योजना के तहत प्रशासनिक अमले द्वारा आंगनबाड़ी केंद्र तथा सरकारी व गैर सरकारी विद्यालयों में अध्ययनरत बच्चों पांच लाख २४ हजार ५१८ बच्चों को टीका लगाए जाने हैं।
स्वास्थ्य अधिकारियों ने बताया कि जिन बच्चों को पहले से ही किसी अन्य बीमारी का असर है उन्हें टीका लगाए जाने से घबराहट या उल्टी होने जैसी स्थिति बनती है। ऐसे में टीकाकरण अभियान में शामिल अमले को निर्देश दिए जा रहे हैं कि वे बच्चों का स्वास्थ्य परीक्षण करावाएं और यदि वे पूर्व से किसी बीमारी से ग्रसित हैं तो पहले उसका उपचार कराएं फिर टीका लगवाएं।
शनिवार को ये बच्चे लाए गए अस्पताल मीजल्स रूबेला अभियान के तहत टीका लगाए जाने के बाद ५ वर्षीय छात्रा नेहा बघेल पुत्री संजीव बघेल निवासी अटेर रोड भिण्ड, ७ वर्षीय सोनम नरवरिया पुत्री सतपाल सिंह नरवरिया निवासी , १३ वर्षीय दीक्षा पुत्री हरीशचंद्र जाटव निवासी अटेर रोड भिण्ड, ११ वर्षीय संगीता पुत्री जितेंद्र जाटव निवासी कमई का पुरा, १४ वर्षीय लक्ष्मी पुत्री सुरेश जैन निवासी मुडिय़ाखेरा भिण्ड, १२ वर्षीय नितिन पुत्र वैजनाथ सिंह यादव निवासी धरई अटेर, १३ वर्षीय शिवानी पुत्री अतीश कुमार धरई एवं ९ वर्षीय पूजा पुत्री गोविंद यादव निवासी शास्त्रीनगर को टीका लगने के बाद हालत बिगडऩे पर जिला अस्पताल के ट्रॉमा सेंटर में भर्ती कराया गया।
प्रबंधन ठीक नहीं होने से अभियान के शुरूआत में ही बिगड़ रही फिजा जिस प्रकार पोलियो तथा चिकन पोक्स के खात्मा अभियान चलाकर किया गया ठीक उसी प्रकार खसरे की बीमारी को भी जड़ से खत्म करने के लिए मीजल्स रूबेला अभियान शुरू किया गया है। लेकिन यहां बतादें कि इस अभियान के तहत पूरी तरह से स्वस्थ बच्चों को ही टीका लगाया जाना चाहिए। किसी भी बीमारी से संक्रमित बच्चे के यदि टीका लगाया जाता है तो उसे घबराहट, बेहोशी या उल्टी होने जैसी स्थिति सामने आ सकती है। स्वास्थ्य विभाग की ओर से बच्चों का बिना स्वास्थ्य परीक्षण किए ही टीका लगाना शुरू कर दिया गया है। ऐसे में टीकाकरण के दौरान उन बच्चों की हालत बिगड़ रही है जिन्हें पहले से ही किसी न किसी तरह का इन्फेक्शन है।
घबराने की कोई बात नहीं ऐसे सभी बच्चों को प्लान सी में शामिल किया जाएगा जो अभी स्वस्थ नहीं हैं। स्वास्थ्य परीक्षण उपरांत ही टीका लगाने के निर्देश दिए गए हैं। स्कूल प्रबंधन तथा अभिभावकों को बच्चों के स्वास्थ्य का ध्यान रखना चाहिए। टीकाकरण में घबराने जैसी कोई बात नहीं है।
डॉ. जेपीएस कुशवाह, सीएमएचओ भिण्ड