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52 फीसद कम हुई मंडी में धान की आवक

locationभिंडPublished: Oct 27, 2020 10:05:50 pm

समय पर नहीं हो रही तुलाई, दाम भी नहीं मिल रहे वाजिब

52 फीसद कम हुई मंडी में धान की आवक

मंडी में गल्ले से भरी ट्रॉली खाली करते कृषक।

गोहद. बीते वर्ष की तुलना में धान की आवक 52 फीसद कम हो गई है। वर्ष 2019 में 48375 क्विंटल धान की आवक कृषि मंडी में की गई थी, जबकि वर्ष 2020 में धान की आवक घटकर 23955 क्विंटल रह गई है। लिहाजा 52 फीसद आवक कम हो गई है। किसानों को उनकी धान के भाव भी कम मिल रहे हैं। वहीं गल्ले की तुलाई में भी किसानों को अपनी बारी के लिए दो से तीन दिन का इंतजार करना पड़ रहा है।

उल्लेखनीय है कि वर्ष 2019 में 2500 रुपए प्रति क्विंटल कर रहा जबकि 2020 में भाव गिरकर 1500 रुपए प्रति क्विंटल रह गए हैं। बता दें कि वर्ष 2019 में 1509 नंबर धान की खरीदी 2500 रुपए प्रति क्विंटल में की गई थी। 1121 नंबर की धान 2800 रुपए प्रति क्विंटल में क्रय की गई थी। वहीं 2020 में 1509 नंबर धान को 1500 रुपए प्रति क्विंटल के भाव में खरीदा जा रहा है। इसी प्रकार 1121 नंबर के धान की खरदी 2100 रुपए प्रति क्विंटल के भाव में की जा रही है। बतादें कि जिले भर में सर्वाधिक धान की पैदावार गोहद क्षेत्र में होती है। समय पर नहरों में पानी नहीं आने के कारण इस बार औसतन धान की पैदावार 25 से 30 फीसद कम हुई है। बावजूद इसके किसानों को धान के वाजिब दाम नहीं मिल रहे हैं। धान ही नहीं तिल, गेहूं के दाम भी वाजिब नहीं मिल रहे।

तिल की खरीदी भी बीते वर्ष की तुलना में 1300 रुपए प्रति क्विंट कम दर में की जा रही


अपनी बेबशी पर रुहांसा चेहरा लिए सर्वा निवासी कृषक लला सिंह एवं राकेश सिंह ने सामूहिक रूप से पत्रिका को बताया कि गुजरे वर्ष 10 हजार रुपए प्रति क्विंटल की दर से तिल की खरीदी की गई थी, जबकि इस वर्ष 8700 रुपए प्रति क्विंटल का भाव दिया जा रहा है। बाजार में महंगाई चरम पर है और किसानों के गल्ले की खरीदी औनेपौने दाम में की जा रही है। घर की जरूरतों को पूरा करने के लिए मजबूरन किसानों को गल्ला व्यापारियों के दाम पर ही बेचना पड़ रहा है। किसानों ने बताया बीते साल की तुलना में प्रति क्विंटल 1300 रुपए कम भाव में खरीदी की जा रही है। यह किसानों का आर्थिक, मानसिक एवं शारीकि शोषण है।

बाजार में गेहूं 1800 रुपए प्रति क्विंटल और किसानों से खरीद रहे 1500 रुपए प्रति क्विंटल


कृषि उपज मंडी में बैठकर व्यापारी अपनी मर्जी से गल्ले का भाव तय कर खरीदी कर रहे हैं, जबकि यही व्यापारी बाजार में आम आदमी को गेहूं 1750 से 1800 रुपए प्रति क्विंटल की दर से विक्रय कर रहे हैं। किसानों के प्रति सरकार और प्रशासन की उदासीनता किसानों को दु:खी तो कर ही रही है उन्हें अंदर से आक्रोशित भी बना रही है।
गल्ला बेचने के लिए दो से तीन दिन का इंतजार करना पड़ रहा। ऊपर से कम दाम में खरीद की जा रही है। किसानों के हित की बात कोई भी करे पर जमीनी स्तर हम किसान बेहद परेशान हैं।
गिर्राज सिंह तोमर, कृषक तुकेंड़ा गोहद
बाजार में हर राशन की सामग्री में दाल, चावल, गेहूं, तिल आदि में महंगाई है। जबकि मंडी में किसानों के गल्ले को मिट्टी के मोल खरीदने का काम किया जा रहा है।
रघुवीर सिंह, कृषक टुड़ीला गोहद

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