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जागरूकता के बाद भी नहीं सचेत हो रहे लोग आखिर क्यों

locationभिंडPublished: Sep 30, 2019 06:16:26 pm

Submitted by:

Rajeev Goswami

2 अक्टूबर से बंद होगी पॉलीथिन फिर भी गोदामों में भरपूर स्टॉक

जागरूकता के बाद भी नहीं सचेत हो रहे लोग आखिर क्यों

जागरूकता के बाद भी नहीं सचेत हो रहे लोग आखिर क्यों

भिण्ड. जमीन की पैदावार घटने और आए दिन पॉलीथिन खाने से हो रही गायो की मौत के बाद भी जिले में पॉलीथिन का उपयोग कम नहीं हो रहा है। स्थिति यह है कि भिण्ड जिले में रोज करीब 5 क्विंटल पॉलीथिन का उपयोग किया जा रहा है। यह सिंगल यूज पॉलीथिन है, जिसे सरकार दो अक्टूबर से प्रतिबंधित कर रही है। इसके बाद भी जिले में थोक व्यापारियों ने बड़ी मात्रा में सिंगल यूज पॉलीथिन का स्टॉक कर रखा है। जिस ओर न प्रशासन का ध्यान और न ही आमजन ही जागरूक हो रहा है। जबकि समाजसेवी संध्याओं द्वारा लोगों को पॉलीथिन का उपयोग न करने और कपड़े के थैले को अपनी जीवन में शामिल करने के लिए लगातार जागरूक किया जा रहा है। फिर भी नतीजा शून्य है। जिले में प्रतिदिन 5 क्विंटल से अधिक पॉलीथिन और बोतल के रूप में प्लास्टिक की खपत हो रही है। इतनी ही प्लास्टिक प्रतिदिन कचरे के रूप मेंं सडक़ पर आकर पर्यावरण के लिए खतरा बन जाती है। सिंगल यूज प्लास्टिक पर पाबंदी लग जाने से प्रशासन या निकायों की ओर से कोई कार्रवाई नहीं की है। जबकि सिंगल यूज प्लास्टिक पर बेन लगने में सिर्फ दो दिन का समय शेष रह गया है।
पिछले एक दशक में सिंगल यूज प्लास्टिक का न सिर्फ उपयोग बढ़ा है। लोग सब्जी मंडी में बिना थैला के लिए पहुंच जाते हैं क्योंकि वहां पर सब्जी पॉलीथिन में मिल जाती है। किराने के सामान से लेकर दवाएं भी पॉलीथिन में मिलती है। थोक व्यापारियों की माने तो प्रतिदिन 5 क्विंटल से अधिक सिंगल यूज प्लास्टिक का यूज होता है। इसमें तीन क्विंटल से अधिक प्लास्टिक का उपयोग शहर में ही हो रहा है। शेष दो क्विंटल पॉलीथिन का उपयोग कस्बों में हो रहा है। इसी प्रकार करीब 5 लाख से अधिक पानी की खाली बोतलें और पाउच भी कचरे में मिल रहीं है। शहर में पॉलीथिन के आधा दर्जन से अधिक स्टाकिस्ट है इनकी गोदामों पर 20 से 25 क्विंटल पॉलीथिन का स्टॉक बताया जा रहा है।
पांबदी की भनक लग जाने से व्यापारियों ने नए ऑर्डर तो देना बंद कर दिए है लेकिन पुराने स्टॉक को लेकर चिंता साफ देखी जा रही है। शहर के अधिकांश नाले-नालियां पॉलीथिन, प्लास्टिक की बोतले फंस जाने से चोक है। जिससे 80 फीसदी से अधिक शहर जलभराव की चपेट में आ गया है।
नपा नालों की सफाई पर प्रतिवर्ष 10 से 12 लाख खर्च कर रही है। यहां बता दें कि पंाच साल पहले भी पॉलीथिन के उपयोग पर पाबंदी लगा दी गई थी। एक दो बार प्रशासन ने छापामारी कर कई क्विंटल पॉलीथिन जब्त भी की। लेकिन इसके बाद पाबंदी पर अमल ही नहीं किया गया।
100 बीघा से अधिक कृषि भूमि की उत्पादकता प्रभावित

कचरे के साथ पॉलीथिन और प्लास्टिक की बोतलें खेतों मेंं पहुंच जाने से किसान भी परेशान है। शहर के आसपास की करीब 100 बीघा जमीन की उत्पादकता पर असर पड़ा है। मिट्टी के नीचे पॉलीथिन होने से बोई गई फसल पनप नहीं कर पाती। कई बार तो किसानों को लेबर लगाकर पॉलिथिन के पाउच निकालने पड़तें है। शहर में ही प्रति साल 200 से लेकर 250 तक गायों की मौत भी पॉलीथिन खाने से हो रही है।
&सिंगल यूज प्लास्टिक के कारण शहर की स्व‘छता पर विपरीत असर पड़ रहा है। नाले चोक हो जाने से जलभराव की समस्या खड़ी हो रही है नपा प्रतिसाल 10 से 12 लाख नालों की सफाई पर ही खर्च कर रही है।
कलावती मिहोलिया नपा अध्यक्ष भिण्ड

&ग्राहक थैला लेकर नहीं आता है। और जो विकल्प है वो इतने ’यादा महंगे है कि ग्राहक लेना नहीं चाहता। कागज की थैलियां असुरक्षित रहती हैं, फट जाती है तो सामान फैल जाता है।
राकेश जैन सदर बाजार किराना व्यवसायी भिण्ड

-प्रदेश सरकार की ओर से अभी तक इस संबंध में निर्देश नहीं आए हैं। यदि शासन ने आदेश आता है तो स्टॉकिस्ट के यहां छापामार कार्रवाई की जाएगी।
मो. इकवाल एसडीएम भिण्ड

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