बता दें कि गोवंश को देव तुल्य माने जाने के बावजूद सडक़ों पर जो दुर्दशा देखने को मिल रही है वह न सिर्फ धार्मिक आस्था को कचोट रही है बल्कि मानवीय संवेदनाओं को भी चोटिल कर रही है। कहने को जिलेभर में शासन स्तर पर गोशाला के नाम पर लाखों रुपए व्यय होना दर्शाया जा रहा है। करीब १५० से अधिक गोशालाओं का निर्माण दो वर्ष पूर्व प्रस्तावित किया गया था जिनमें १०० से ज्यादा बनने के उपरांत संचालित भी दर्शाई जा रही हैं। बावजूद इसके शहर की सडक़ों और गांवों के खेतों में आवारा गोवंश के झुण्ड कम नहीं हुए हैं। लिहाजा यह झुण्ड जहां शहर में राहगीरों और खाद्य सामग्री विक्रेताओं के लिए परेशानी का सबब बने हुए हैं वहीं गांवों में फसलों को चौपट कर रहे हैं। उपरोक्त समस्या से निपटने के लिए ग्रामीणों ने अपने स्तर पर गोशालाएं बनाकर संचालित करने का बीणा उठाया है।
न सिर्फ पुण्य कमाएंगे बल्कि फसलें बचाएंगे किसानों ने सामूहिक रूप से बताया कि वह गोशाला संचालित कर न सिर्फ पुण्य अर्जित करेंगे बल्कि उनकी फसलें भी चौपट होने से बचेंगी। वहीं शहर में फुटपाथ व चार पहिया ठेले पर सब्जी आदि खाद्य सामग्री बेचने वालों को भी समस्या से राहत मिलेगी। दिसंबर २०२१ तक चंदा जमा कर लेंगे।
इन दुर्दशाओं का शिकार हो रहा गोवंश आवारा गोवंश को आसरा नहीं मिलने के कारण न सिर्फ भूखे और प्यासे दिन भर भटकते नजर आ रहे हैं बल्कि सडक़ हादसों में घायल होकर काल कवलित भी हो रहे हैं। सर्दियों में इनके लिए ज्यादा मुसीबत बढ़ जाती है। ठंड से बचने के लिए कोई इंतजाम नहीं होते लिहाजा लोगों द्वारा जलाए जाने वाले अलावों पर आवारा गोवंश कब्जा करने को विवश रहते हैं।
इन गांवों के लोग आए गोवंश बचाने के लिए आगे लहार क्षेत्र के छिबावली, मिहोना, मेहगांव के सिलोली, परघेना, अटेर के खिपोना एवं गोहद के खितौली के ग्रामीणों ने अपने-अपने गांव में गोशाला बनाने के लिए आपस में ही चंदा एकत्र करना शुरू कर दिया है। खितौली निवासी रामप्रकाश सिंह बताते हैं कि गांव में धार्मिक एवं वैवाहिकआयोजन के दौरान गोशाला के नाम पर आयोजनकर्ता से कुछ धनराशि ली जा रही है। वहीं मिहोना निवासी पुरुषोत्तम कुमार कहते हैं कि पांच रुपए रोज के हिसाब से चंदा देने वाले सदस्यों को सूचीबद्ध किया गया है जो महीने में 150 रुपए देंगे। वहीं सिलोली निवासी दाताराम शर्मा कहते हैं कि अपनी मर्जी से जो भी व्यक्ति जितना भी आर्थिक सहयोग कर रहा है उससे लिया जा रहा है।