बुधवार दोपहर १२:३० बजे भिण्ड बस स्टैण्ड पर एक बस यात्रियों को भरने के इंतजार में खड़ी मिली। बस का पंजीयन ग्वालियर के एक व्यक्ति के नाम पर ०२ मई २००५ को किया गया था। ३२ सीट पास बस के अंदर ३८ सीटें हैं। १२ साल पुरानी बस का विभाग की वेबसाइट पर परमिट, बीमा एवं फिटनेस का कोई रिकॉर्ड मौजूद नहीं होने के बावजूद बस भिण्ड-ग्वालियर रूट पर प्रति दिन यात्री परिवहन कर रही है। यह बस एक उदाहरण मात्र है। इस तरह अवैध परिवहन में भिण्ड ग्वालियर रूट पर कुल १३ बसें संचालित हैं जिन्हें पकड़कर उनके ऑपरेटर्स के खिलाफ जिला परिवहन द्वारा कार्यवाही नहीं की जा रही है।
लंबे समय से चल रहा है घालमेल यहां बतादें कि यह घालमेल जिले के सभी रूटों पर लंबे समय से चल रहा है। हैरानी की बात ये है कि परिवहन विभाग की ओर से इन रूटों पर निरीक्षण नहीं किया जा रहा है। यही वजह है कि बसों में अवैध यात्री परिवहन पर अंकुश नहीं लग पा रहा है।
अन्य रूट पर भी चल रहा यही घालमेल भिण्ड से लहार, उरई, मछण्ड होते हुए माधौगढ़, रायपुरा निनावली, जखमौली से माधौगढ़, इटावा, मुरैना, मौ आदि रूट पर चल रहीं यात्री बसों की स्थिति और भी बदतर है। यहां बतादें कि इटावा रूट पर २७ बसें परमिटेड हैं, जबकि ३९ बसें चल रहीं हैं। इसी प्रकार लहार व उरई रूट पर २३ बसें परमिटेड हंै और ३८ बसें संचालित की जा रहीं हैं।
&समय-समय पर निरीक्षण किया जाता है। यदि बिना परमिट व बीमा के बसें संचालित की जा रहीं हैं तो शीघ्र ही उनके खिलाफ धरपकड़ अभियान चलाया जाएगा। अर्चना परिहार, जिला परिवहन अधिकारी भिण्ड