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राजनीति में धर्म के आश्रय से राजनेता अनुशासित होते हैं-रामस्वरूपाचार्य

locationभिंडPublished: Feb 20, 2023 04:25:44 pm

Submitted by:

Ravindra Kushwah

मानस मर्मज्ञ कामदगिरि पीठाधीश्वर चित्रकूट जगतगुरु रामस्वरूपाचार्य ने राजनीति में धर्म के आश्रय की वकालत की है। धर्म से अनुशासन आता है और जब नेता अनुशासित नहीं होगा तो देश और समाज को खतरा पैदा कर सकता है। राजनीति अनुशासित हो, इसलिए राजनेता और राजनीति को धर्म और संतों से जुड़ा रहना चाहिए। महात्मा का कार्य जनता की आवाज परमात्मा तक पहुंचानेका है। स्वस्थ संदेश जनजन तक पहुंंचे, इसके लिए स्वस्थ चिंतन महात्मा भी दें मंच और धर्मसभा से और राजनीतिक मंचों से भी स्पष्ट संदेश जाना चाहिए। मीडिया भी यथार्थ संदे

जगतगुरु रामस्वरूपाचार्य -भिण्ड.
जगतगुरु रामस्वरूपाचार्य
राजनीति में धर्म के आश्रय से राजनेता अनुशासित होते हैं-रामस्वरूपाचार्य
-मेघालय भाजपा अध्यक्ष का बीफ पर बयान स्वयं से पहले पार्टी को रसातल में ले जाएगा

भिण्ड. कॉटनजीन कॉलोनी स्थित श्रीमंशापूर्ण हनुमान मंदिर पर मीडिया से मुखातिब स्वामी रामस्वरूपाचार्य ने रामचरित मानस पर सपा नेता स्वामीप्रसाद मौर्य के बयान को लेकर आचार्य ने कहा कि ताडऩा शब्द की गलत व्याख्या करने वाले नेताआं को शब्द विज्ञान की जानकारी नहीं है। राजनेता ही समाज में प्रदूषण फैला रहे हैं। वोट बैंक साधने के लिए गलत बयानवाजी कर जनता को भ्रमित कर रहे हैं। ग्रंथों के साथ खिलवाड़ कर रहे हैं।
-रामस्वरूपाचार्य ने रामचरित मानस की चौपाई में ताडऩा, शब्द की व्याख्या करते हुए कहा कि इसका संबंध मरने-पीटने से नहीं है। ताडऩा का अर्थ पालन करना, शिक्षित करना, नजर में रखना और संरक्षण देने से है। नेताओं को शब्द विज्ञान की जानकारी नहीं है, इसलिए अर्थ का अनर्थ निकाल लेते हैं।
-ब्राह्मण को लेकर आरएसस प्रमुख मोहन भागवत के बयान पर रामस्वरूपाचार्य ने कहा कि उनसे वार्ता के बाद ही कुछ ठोस कहा जा सकता है, उन्होंने किस संदर्भ में यह कहा, देखना होगा। आचार्य ने सभी जतियों के आदर पर जोर देते हुए कहा कि जातिगत टिप्पणी नहीं होनी चाहिए। किसी भी जाति का अपमान नहीं करना है। सभी जातियां भगवान की ही हैं। भगवान ने सभी को समान रूप से स्वीकार किया है।

-हिंदू राष्ट्र पर उन्होंने कहा कि हनुमानजी महाराज की इच्छा से यह संभव है। वे जब सभी को संबल देेंगे तो हिंदू राष्ट्र भी बन सकता है। बागेश्वर धाम के महंत और पंडोखर के महंत के बीच विवाद पर रामस्वरूपाचार्य ने कहा कि कौन क्या कर रहा है इसकी वास्तविकता कोई नहीं जानता। इस समय वैचारिक प्रदूषण इतना अधिक फैल रहा है कि उसे रोकने के लिए संत और जनता को एकमत होना चाहिए। चाहे पंडोखर हो या बागेश्वर सरकार, सभी को सनातन और सदाचार को प्रकट करने के लिए एकमत होना चाहिए। मैं बोलूं, धीरेंद्र बोलें या पंडोखर सरकार, सभी की वास्तविकता हनुमानजी जानते हैं। स्वस्थ संदेश देने के लिए किसी पर टिप्पणी नहीं करनी चाहिए। कोई भी एक-दूसरे पर टिप्पणी न करें।
क्रोध पर नियंत्रण के लिए बोध होना चाहिए
रामस्वरूपाचार्य ने कहा कि क्रोध पर नियंत्रण के लिए बोध होना चाहिए। बोध प्राप्त करने के लिए सत्संग करना चाहिए। धर्म का व्यापक प्रचार-प्रसार होने के बावजूद समाज में अराजकता पर स्वामी ने कहा कि वैचारिक प्रदूषण भी उसी अनुपात में बढ़ रहा है। आपकी जैसी नजर होगी, वैसा ही दिखेगा।
भाजपा को रसातल में ले जाएगा यह बयान
-मेघालय में भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष अर्नेस्ट मावरी के बीफ पर कोई प्रतिबंध नहीं होने व स्वयं के खाने के बयान पर स्वामी रामस्वरूपाचार्य ने घोर आपत्ति की। उन्होंने मेघालय भाजपा प्रमुख को पार्टी से निष्कासित करने की मांग करते हुए कहा कि वह गलत बोल रहा है, उसकी जुबान पर लगाम लगाओ। ऐसे बयानों से वह स्वयं तो रसातल में जाएगा ही पहले पार्टी को ले जाएगा।
-सनातन को आदि धर्म बताते हुए कहा कि सृस्टि के संचालन के सनातन धर्म दिया। विकृतियां भी आईं। जिस प्रकार नींव का पूजन कर खोदा गया हो तो देवता, मिस्त्री व सामग्री सहयोग करेगी। इसी प्रकार नए धर्म केवल खड़े हो रहे हैंवे सामगी व मिस्त्री की तरह हैं, उनमें देव पूजन का कोई विधान नहीं है। सनातन अपने ऊंचाई पर रहेगा, इसके अस्तित्व को कोई मिटा नहीं सकता।
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