ओलावृष्टि से फसलें बर्बाद होने का नुकसान झेलने वाले पीड़ित किसानों की मानें तो सरसों की खड़ी फसल में तो नुकसान है ही, काटने के बाद खेत में पड़ी फसलों की भी फलियां चटकने से दाना गीले खेतों में बिखर गया है। जो आने वाले दिनों में किसानों के लिए और भी बड़ी चुनौती बन जाएगा।
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1 हजार बीघा फसल बर्बाद
10 बीघा में बर्बाद हुई गेहूं की फसल के बाद दुखी किसान अवधेश सिंह भदौरिया का कहना है कि, अब बेटी की शादी करना मुश्किल होगा। एक मई को बेटी की शादी तय है और 25 अप्रेल को लगुन-फलदान का कार्यक्रम होना है। समझ में नहीं आ रहा कैसे व्यवस्थाएं करेंगे। ओलावृष्टि के दूसरे दिन तक भी प्रशासन का कोई नुमाइंदा किसानों की दुर्दशा देखने नहीं आया। आसपास के गांव गढ़ा, चांसड़, उधन्नपुरा और तोरकापुरा में कुल करीब 1 हजार बीघा फसल बर्बाद हुई हैं।
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पिछली बार भी हुआ था नुकसान, कई किसानों को नहीं मिला था मुआवजा- किसान
हालांकि उप संचालक कृषि आरएस शर्मा ने मौका मुआयना करने के बाद सर्वे रिपोर्ट प्रस्तुत करने के निर्देश दिए हैं। रौन और अटेर विकासखंड के करीब एक दर्जन गांव प्रभावित हैं। किसान जगन्नाथ सिंह भदौरिया, रमेश सिंह भदौरिया, सुनावीर सिंह, लाल सिंह, नरेंद्र सिंह ने बताया कि, पिछले साल भी ओलावृष्टि से फसल को नुकसान हुआ था और कई किसानों को मुआवजा नहीं मिला था, इस बार भी गेहूं और सरसों की फसल चौपट हो गई है।