कृषि विज्ञानी एवं किसानों के अनुसार प्रति हेक्टेयर 25 क्विंटल सरसों की औसतन पैदावार होती है। आंशिक पाले की स्थिति निर्मित होने के कारण 20 फीसद फसल के प्रभावित होने का अनुमान है। लिहाजा प्रति हेक्टेयर पांच क्विंटल सरसों का उत्पादन घटेगा। ऐसे में एक हेक्टेयर में करीब 20 क्विंटल सरसों का उत्पादन ही बमुश्किल होगा। लिहाजा जिले भर में 1125000 क्विंटल सरसों का उत्पादन कम होना बताया जा रहा है। यदि सरसों का भाव 6000 रुपए प्रति क्विंटल भी रहा तो किसानों को फसल उत्पाद घटने से 675 करोड़ रुपए के नुकसान का सामना करना पड़ेगा।
फसल बीमा का नहीं मिल पा रहा लाभ उल्लेखनीय है कि प्रधानमंत्री फसल बीमा में पाले से होने वाले नुकसान का दावा भुगतान किए जाने का प्रावधान है। बावजूद इसके किसानों को बीमा लाभ के तहत दवा भुगतान नहीं मिल पा रहा है जबकि किसानों ने प्रीमियम के रूप में नियमित रूप से धनराशि ले ली जाती है। जिले के किसानों के जागरुक नहीं होने के कारण इसके खिलाफ उनके द्वारा आवाज तक नहीं उठाई गई है। हालांकि इस बार किसान संगठनों ने बीमा लाभ नहीं मिलने को लेकर अपनी आवाज मुखर करना शुरू कर दिया है।
सरसों की फसल में करीब 15 से 20 फीसद उत्पादन कम होने के आसार हो गए हैं। प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना से किसानों को राहत मिलनी चाहिए लेकिन बीमा योजना के नाम पर किसानों से लूट की जा रही है।
संजीव बरुआ, अध्यक्ष किसान संघर्ष एवं विकास संघ
संजीव बरुआ, अध्यक्ष किसान संघर्ष एवं विकास संघ
वैसे तो हर साल ही पाले जैसी स्थिति आंशिक रूप से निर्मित होती है। लेकिन इस वर्ष कुछ ज्यादा ही हो गया। बावजूद इसके व्यापक स्तर पर नहीं कुछ इलाकों में फसल प्रभावित हुई है।
डॉ. पुनीत राठौर, वैज्ञानिक कृषि विज्ञान केंद्र लहार
डॉ. पुनीत राठौर, वैज्ञानिक कृषि विज्ञान केंद्र लहार