शहर में मिष्ठान की करीब 300 छोटी बड़ी दुकानें हैं, जबकि जिले में लगभग मिठाई की 1700 दुकानें हैं। दीपावली पर प्रतिवर्ष 2500 से 3000 क्विंटल मावा से तैयार की गई मिठाई एवं 1000 से 1500 क्विंटल तक बूंदी के लड्डुओं की औसत खपत होती थी। इस बार जहां मावा से तैयार होने वाली मिठाई की बिक्री में 40 फीसदी कमी देखी गई है। वहीं 10 फीसदी की गिरावट लड्डू, जलेबी, इमरती एवं बालूसाई में भी बताई जा रही है। इसकी बड़ी वजह लोगों में बैठा मिलावट खोरी के प्रति भय माना जा रहा है। लिहाजा लोगों ने ब्रांडेड कंपनियों के तैयार सीलबंद मिठाई के पैकेट खरीदने में दिलचस्पी दिखाई है। यहां बता दें कि प्रशासन द्वारा दीपावली से कुछ दिन पूर्व ही ऊमरी कस्बे में कई क्विंटल नकली छैना जब्त किया था बल्कि भिण्ड शहर के महावीर नगर में नकली दूध तैयार किए जाने के कैमीकल का जखीरा भी बरामद किया था। इसके अलावा जिले के अन्य स्थानों से मिलावटी मावा भी पकड़ा है। नतीजतन लोग स्थानीय स्तर पर तैयार होने वाली मिठाइयों से इस बार दूरी बनाते नजर आए।
सर्वाधिक बिकीं ये मिठाइयां इस बार लोगों ने कामगारों, कर्मचारियों तथा घर ले जाने के लिए ’यादातर बांडेड कंपनियों द्वारा तैयार की गई सोनपपड़ी, छैना एवं बर्फी के पैकेट खरीदे। कंपनियों के सीलबंद पैकेट बेचने वाले दुकानदारों के अनुसार जिले भर में प्रतिवर्ष आधा किलो वजन के 18 से 20 हजार एवं एक किलो वजन के 12 से 15 हजार पैकेट बिकते थे लेकिन इस बार आधा किलो वजन के 27 से 28 हजार एवं एक किलो वजन के 19 से 20 हजार पैकेट की बिक्री बताई जा रही है।
-इस बार दीपावली पर औसतन 40त्न बिक्री कम हुई है। इसके मुकाबले लोग रेडीमेड मिठाई के पैकेट पसंद कर रहे हैं। जितेंद्र कुमार, मिष्ठान दुकान संचालक भिण्ड -बिक्री कम होने से मिलावटखोरी का प्रचार-प्रसार रहा या कोई अन्य कारण ये तो नहीं पता लेकिन इस दिवाली हमें खर्चे निकालना मुश्किल हो गए हैं।
सर्वेश कुमार, मिष्ठान दुकान संचालक भिण्ड