गौरतलब है कि जिलेभर में होटलों व ढाबा संचालकों के लिए नियम तय करते हुए होटल संचालन के लिए कुछ रियायतें दी गई हैं, लेकिन होटलों पर न तो कोई नियम लागू हो रहा है और न ही कोई सतर्कता बरती जा रही है। हाइवे किनारे होने के बाद भी संचालकों को प्रशासनिक कार्रवाई का कोई डर नहीं है।
होटलों पर 20-20 गाडिय़ां रूक रही हैं, जिन्हें होटल पर रोककर भोजन कराया जा रहा है। यहां न सोशल डिस्टेंसिंग है और न ही कोई सेनेटाइजेश या मास्क के उपयोग का चलन। होटलों का संचालन उसी तरह से हो रहा है जैसे कोरोना काल से पहले हुआ करता था। संचालक व कर्मचारियों को संक्रमण का डर नहीं है और न ही खाना खाने आ रहे ग्राहकों को, जबिक शासन की तरफ से होटलों के संचालन को लेकर शख्त नियम व हिदायतें जारी की गई है।
शासन ने यह बनाए हैं नियम
संक्रमण से बचाव व होटल संचालकों के रोजगार को ध्यान में रखते हुए होटल संचालकों को सीमित स्टाफ के साथ काम करने की अनुमति दी है, लेकिन ग्राहकों को होटल पर बैठाकर खाना खिलाने की अनुमति नहीं है। होटल संचालक ग्राहकों को खाना पैक करके दे सकते हैं। वहीं किसी भी होटल में यात्रियों को ठहरने की अनुमति भी नहीं दी गई है। होटल संचालक केवल रेस्टोरेंट ही चला सकते हैं। वह भी केवल होम डिलीवरी या फि र खाने की पैकिंग ही कर सकते हैं।
प्रशासन की लापरवाही खतरे को दे रही आमंत्रण
हाइवे किनारे संचालित हो रही 40 से अधिक होटलों पर नियमों का उल्लंघन हो रहा है, जबकि जिलेभर के बड़े-बड़े अधिकारियों का इसी हाइवे से दिनभर आवागमन रहता है। इसके बाद भी प्रशासनिक अधिकारी नजर पडऩे के बाद भी इसे दरकिनार कर निकल जाते हैं। ऐसे में यदि कोई बाहर से आया हुआ संक्रमित व्यक्ति होटल पर खाना खाकर निकल जाता है तो होटल स्टाफ सहित अन्य ग्राहकों की भी संक्रमित होने की संभावना बढ़ जाएगी। यह लापरवाही जिले की जनता के लिए एक बड़े खतरे को आमंत्रण दे रही है।
होटल व ढाबों पर केवल खाना पैक करने की अनुमति दी गई है। यदि किसी होटल या ढाबा संचालक द्वारा बैठाकर खाना खिलाया जा रहा है तो होटल या ढाबा सीज कर वैधानिक कार्रवाई की जाएगी।
– शुभम शर्मा, एसडीएम गोहद