वहीं राजेंद्र सिंह गुर्जर ने आंदोलनकारियों से कहा कि सत्ता में रहीं पार्टियां हमेशा ओबीसी की अनदेखी करती रही है। अब समय आ गया है कि हम जागे और अपना हक पाने के लिए आगे आएं। वहीं जिला कांग्रेस महामंत्री रविंद्रसिंह नरवरिया ने कहा कि देश में ओबीसी जातियों की संख्या ५२ फीसदी है। कानूनन २७ फीसदी आरक्षण मिलना चाहिए। लेकिन पिछले ढाई दसक से १४ फीसदी ही आरक्षण दिया जा रहा है। हक पाने के लिए हमें राजनीतिक ताकत हासिल करनी होगी।
नंदराम बघेल ने कहा कि देश और प्रदेश में हमारे वोटो से सरकार बनती है। लेकिन हमें ही हर बार दरकिनार कर दिया जाता है। आरक्षण सामाजिक और राजनीतिक पिछड़ों को मिलना चाहिए। आर्थिक आधार पर आरक्षण का कोई प्रावधान नहीं हैं। अंगदसिंह कुशवाह ने यहां से संकल्प लेकर जाए कि जो मशाल जली है वो बुझना नहीं चाहिए। चुनाव में गैर भाजपा और कांग्रेस के सांसदों को जिताकर भेजना होगा। महेशसिंह नरवरिया एडवोकेट ने कहा कि संविधान के अनुसार आरक्षण न मिलने से ओबीसी की जातियां और पीछे होती जा रही है। हम किसी से भीख नहीं अपना अधिकार मांग रहे हैं।
श्यामसुंदर सिंह यादव ने कहा कि अनुसूचित जाति और ओबीसी एक हो जाए तो हमारे बिना किसी की सरकार नहीं बन सकती। धरना-प्रदर्शन में रणजीतसिंह गुर्जर, जनवेदसिंह यादव, चुन्नीलाल प्रजापति, पूर्व सरपंच मेघसिंह नरवरिया, सतपाल बघेल, विजयसिंह बघेल, नारायण प्रसाद धोलपुरिया, राजवीरसिंह बघेल, रामरतनसिंह यादव आदि ने अपने विचार रखे। इस अवसर पर अनिल कुमार लोदी, कैलाशसिंह नरवरिया, श्यामसिंह राठौर, अशोकसिंह यादव भूटानी, सुल्तानसिंह नरवरिया, संतोषसिंह यादव, नारदसिंह कुशवाह, मोहन सिंह पूर्व सरपंच, डा. बादाम सिंह आदि मौजूद रहे। आंदोलन के दौरान संबोधन शुरू होने से पहले महापुरूषों के चित्रों पर माल्यार्पण किया गया।
ज्ञापन के प्रमुख बिंदु ओबीसी की संख्या ५२ फीसदी से भी अधिक है। २७ फीसदी आरक्षण मिलना चाहिए, जबकि प्रदेश में १४ फीसदी आरक्षण मिल रहा है। विश्वविद्यालयों में पदों की बजाय संकाय को इकाई मानक र भर्तियां की जा रही है जिससे ओबीसी की संख्या कम होती जा रही है।
अधिकारियों की पदस्थापना में भी भेदभाव किया जाता है। संख्या के आधार पर पदस्थापना की जाए। राजपत्रित अधिकारियों के पदों पर भी आरक्षण नहीं दिया जा रहा। इन पदों पर २७ फीसदी आरक्षण दिया जाए।
स्कूल और महाविद्यालयों में जो छात्रवृत्ति दी जा रही है वो महंगाई के हिसाब से काफी कम हैं। शुल्क के आधार पर छात्रवृत्ति का भुगतान किया जाए। प्रदेशभर में जाति प्रमाण पत्र बनाने की प्रक्रिया काफी कठिन कर दी गई है। इसका सरलीकरण किया जाए।