जिला शिक्षा केंद्र की ओर से प्रकरण तैयार कर करीब डेढ़ साल पहले अनुविभागीय अधिकारी कार्यालयों को भेज दिए गए थे। संयुक्त प्रयासों से दो करोड़ रुपए की राशि वसूलने में सफलता मिल गई थी, लेकिन २.१७ करोड़ अभी भी सरपंच तथा सचिवों पर अटके हैं। डिफाल्टर सरपंच -सचिव न तो कार्य ही पूरा करा रहे हैं और नहीं सरकार को पैसा वापस करने क ो तैयार हैं। कई सरपंचों ने तो खातों से पैसा निकालकर खर्च भी कर लिए हैं। १३९ पंचायतों के ३३५ आरआरसी प्रकरण एसडीएम कोर्ट से सीईओ जिपं कार्यालय में पहुंच चुके हैं। सीईओ ने सरपंचों से ब्याज सहित पैसा वसूलने के निर्देश दिए हैं। पैसा वापस न करने वालों के खिलाफ कुर्की की कार्रवाई भी संभव है। निर्माण कार्य पूर्ण न होने से हजारों बच्चों को किचिन, जर्जर भवनों में पढऩे को मजबूर होना पड़ रहा है।
कार्य पूर्ण कराने चाहिए १० करोड़, बढ़ी राशि देने को तैयार नहीं सरकार १० साल में निर्माण कार्यों की लागत में कई गुनीा तक वृद्धि हो चुकी है। वर्ष २००७ में १२ माध्यमिक भवन आए थे, एक भवन की लागत ६.७८ लाख थी जो वर्तमान में बढ़कर १४.७२ लाख हो गई है। इसी प्रकार प्राथमिक की लागत ४.७५ लाख से बढ़कर १२.२६ लाख पर पहुंच गई है। अधूरे और आप्रारंभ कार्य पूर्ण कराने के लिए १० करोड़ से भी अधिक की जरूरत है। राशि पहले से ही जारी होने के कारण सरकार रिवाइज करने क ो तैयार नहीं है, सरपंच भी कार्य पूर्ण कराने को तैयार नहीं है। ड्राइंग बदलकर निर्माण कार्य पूर्ण कराने की अनुमति मिल गई है, लेकिन सबसे बड़ी समस्या तो पैसा वापस मिलने की है।
डिफाल्टर सरपंच-सचिवों से बकाया राशि वसूलने के लिए आरआरसी जारी की जा चुकी है तथा आगे की कार्रवाई के लिए सीईओ जिपं को भेज दी गई हैं। अधूरे कार्य बकायादारों से ही करवाए जाएंगे, अप्रारंभ कार्यों की ब्याज सहित राशि वसूल की जाएगीछ
संजीव शर्मा डीपीसी भिण्ड