सर्दी में लकड़ी की डिमांड कई गुना बढ़ जाने के कारण पेड़ों की कटाई भी बढ़ गई है।शासन के नियमानुसार आंधी में टूटने वाले या झुक जाने वाले अथवा सूखे पेड़ों को काटने के लिए संबंधित एसडीएम से अनुमति लेेना अनिवार्य होता है। एसडीएम कार्यालय से पिछले दो साल से न तो किसी ने पेड़ काटने की अनुमति के लिए आवेदन दिया है और न ही किसी को अनुमति प्रदान की गई है। इसके बाद भी दो दर्जन ट्रालियों में भरकर हरी लकड़ी फूप की सात आरामशीनों पर पहुंच रही है। आरा मशीन संचालक कामर्शियल लकड़ी के गट्टे बनाकर हर सप्ताह दो कैंटरों में लकड़ी भर कर इटावा, बरैली, कानपुर, आगरा के लिए भेज रहे है जबकि जलाऊ लकड़ी को क”ाा कोयला बनाने या स्थानीय डिमांड की पूर्ति के लिए खपाया जाता है। यहां बतादे कि स्थानीय लकड़ी काटने वालों से आरामशीन संचालक 400 से लेकर 500 रुपए प्रति क्विंटल की दर पर लकड़ी खरीदते हंै, जबकि कामर्शियल लकड़ी 1000 रुपए प्रति क्विंटल की दर से सप्लाई की जा रही है।अटेर वन रेंज की सभी 35 वीटों पर वनरक्षकों की ड््यूटी रहती है इसके बाद भी पेड़ो का कटाव रुक नहीं पा रहा है। ग्रामीणों का कहना है कि कहीं पर वन आरक्षकों की मिलीभगत है तो कहीं पर प्रेशर बनाकर वन क्षेत्रों से पेड़ो को काटा जा रहा है।
आधा सैकड़ा गांव के बीहड़ों में हजारों की संख्या में पेड़ नदारत अटेर क्षेत्र में नावली वृंदावन, चौम्हो, गढेर, रमा, कोषण, विजौरा, चिलौगा, परियाया, गढ़ा, चांचर, बड़ेपुरा, रानीपुरा, ज्ञानपुरा, संाकरी, नाहरा, भदाकुर, नई गढ़ी, विंडवा, अहेंती, भगवासी आदि गंावों के बीहड़ों से दो माह के भीतर ही सैकड़ों की संख्या में पेड़ गायब हो गए हैं। जहां पर पेड़ थे वहां पर अब ठंूठ दिखाई दे रहे हैं। कई पेड़ों को कुल्हाड़ी तो कई पेड़ों को आरा से काट दिया गया है। रैंजर स्तर के अधिकारी मुख्यालय से नदारत रहते हंै वनों की रखवाली का काम आरक्षकों के भरोसे छोड़ दिया गया है। अधिकारियों ने महीनों से दौरा नही नहीं किया है।
कथन हमारे कार्यालय में पिछले दो साल से पेड़ काटने की अनुमति मांगने के संबंध में कोई आवेदन तक नहीं आया है। न ही हमने किसी का अनुमति दी है। इसके बाद भी पेड़ों काटा जाना चिंता का विषय है। इस संबंध में वन विभाग से चर्चा करने के बाद कार्रवाई करेंगे।
-मोहम्मद इकवाल अली एसडीएम भिण्ड हमारी सभी वीटों पर आरक्षक की तैनाती है। यदि इसके बाद भी पेड़ काटे जा रहे हैं तो संबंधित वीट प्रभारी पर कार्रवाई की जाएगी। -बीएस सिकरवार रेंजर अटेर रेंज
दिन के समय बीहड़ में जाते है तो पेड़ खड़े होते है दूसरे दिन ही पेड़ गायब हो जाते है। हमारे गांव के बीहड़ में दो माह के भीतर ही सैकड़ों की संख्या में पेड़ो के स्थान पर ठूठ दिखा रहे हैं। जब लकड़ी काटी नहीं जा रही तो आरामशीनों पर कहां से आ रही है।
-राजेंद्र सिंह भदौरिया निवासी भदाकुर