यहां बता दें कि आलमपुर थाना पर स्वीकृत कुल स्टाफ का 50 प्रतिशत भी तैनात नहीं किया गया है। वर्तमान में थाने पर एक नगर निरीक्षक, एक एसआइ, 6 एएसआई, 5 दीवान, 12 आरक्षक व 8 होमगार्ड सहित 33 पद स्वीकृत हैं, जबकि इस समय थाने पर टीआई तैनात न होकर एसआई के ऊपर ही नगर निरीक्षक का प्रभार है। वहीं 6 एएसआई पद स्वीकृत होने के बाद भी केवल एक ही एएसआई पदस्थ किया गया है। 5 दीवान की जगह केवल एक दीवान व 12 आरक्षकों की जगह 9 आरक्षक एवं 8 होमगार्ड सिपाहियों की जगह केवल तीन होमगार्ड पदस्थ है। इनमें से भी एक आरक्षक डायल 100 व एक आरक्षक नगर के विजय चौक पर तैनात रहता है। वहीं एक आरक्षक की कोर्ट मुंशी के रूप में पदस्थापना है। इस तरह से थाने पर कुल 11.12 लोगों का स्टाफ रह जाता है।
11 लोगों के स्टाफ के भरोसे है 40 हजार की सुरक्षा
आलमपुर थाने पर स्वीकृत स्टाफ में से आधा भी स्टाफ तैनात नहीं किया गया है। ऐसे में जनसुरक्षा को लेकर पुलिस महकमे को जिम्मेदार ठहराने के बजाय शासन को इसकी जिम्मेदारी लेनी चाहिए। जिला प्रशासन द्वारा पुलिसकर्मियों के अभाव के चलते आलमपुर थाने में आधे से भी कम स्टाफ तैनात किया गया है। ऐसे में 11 लोगों के स्टाफ के भरोसे 40 हजार लोगों की सुरक्षा किस प्रकार की जा सकती है। यह विषय चिंतनीय है, जबकि शासन को लोगों की सुरक्षा का ख्याल रखते हुए स्टाफ की कमी को पूरा करने के लिए कदम उठाए जाने की जरूरत है।
आलमपुर थाने में स्टाफ की कमी के चलते क्षेत्र में गश्त करने में परेशानी होती है। यदि पर्याप्त स्टाफ तैनात कर दिया जाए तो काम करने में सुविधा होगी।
कमलकांत दुबे, थाना प्रभारी आलमपुर