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छात्र-छात्राएं साइकिलें नहीं मिलने से पैदल कीचड़ में से स्कूल जाने को मजबूर

locationभिंडPublished: Aug 17, 2019 05:05:43 pm

Submitted by:

Rajeev Goswami

छात्रों को बांटने के लिए खुले में रखीं जंग खा रहीं लाखों की साइकिलें

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छात्र-छात्राएं साइकिलें नहीं मिलने से पैदल कीचड़ में से स्कूल जाने को मजबूर

भिण्ड. लाखों रुपए कीमत की साइकिलें खुले मैदान में रखी जंग खा रही हैं। दरअसल ये साइकिलें विद्यार्थियों को वितरण के लिए शासन द्वारा भेजी गई हैं। आलम ये है कि शिक्षा विभाग के पास इन साइकिलों को वितरण से पूर्व सुरक्षित रखने का इंतजाम तक नहीं है। लिहाजा साइकिलों के पुर्जों ने जंग पकडऩा शुरू कर दिया है।
भिण्ड एवं अटेर विकासखण्ड के अंतर्गत संचालित १७ शासकीय माध्यमिक एवं हाईस्कूल के बच्चों को वितरण किए जाने के लिए 1047 साइकिलें शासन द्वारा भेजी गई हैं। यहां बता दें कि एक साइकिल की कीमत 3500 रुपए है। 36.64 लाख रुपए कीमत की साइकिलों को न तो समय पर वितरण किया गया है और ना ही उन्हें सुरक्षित स्थान पर रखवाया गया है। गौरतलब है कि माध्यमिक विद्यालयों के बच्चों के लिए 182 एवं हाईस्कूल के छात्र-छात्राओं को 865 साइकिल वितरण की जानी हैं।
बरसात में छात्र कीचड़ में कर रहे आवागमन

बरसात के दिनों में ग्रामीण अंचल के छात्र पैदल कीचड़ भरे रास्तों से होकर ही विद्यालय के लिए आवागमन कर रहे हैं। क्योंकि यदि पक्की सडक़ से होकर विद्यालय पहुंचते हैं तो एक से डेढ़ किलोमीटर का चक्कर लगाना पड़ता है। ऐसे मेंं बच्चे दूरी बचाने के लिए खेतों की पगडंडियों और गलियों के रास्ते घर से विद्यालय की दूरी तय कर रहे हैं।
डेढ़ माह बाद भी वितरित नहीं की गई साइकिलें

दूरदराज ग्रामीण अंचल से आने वाले 1047 छात्र-छात्राओं को पैदल ही घर से विद्यालय तक सफर करना पड़ रहा है, जबकि उनके लिए शासन द्वारा जुलाई के पहले सप्ताह में ही साइकिलें उपलब्ध करवा दी गई थीं। यहां बता दें कि 31 जुलाई तक शिक्षा विभाग द्वारा साइकिलों का वितरण किया जाना था, लेकिन निर्धारित अवधि के डेढ़ माह बीत जाने के उपरांत भी अभी तक साइकिल वितरण की सुध नहीं ली जा रही है।
बच्चों की पीड़ा
साइकिल के अभाव में पैदल ही सफर करना पड़ रहा है। फेर बचाने के लिए कच्चे रास्तों में कीचड़ में धंसकर जाना पड़ रहा है।
सरस्वती भदौरिया, छात्रा कचोंगरा
समय पर विद्यालय पहुंचने के लिए एक घंटे पूर्व से ही घर से निकलना पड़ता है, जबकि विद्यालय से घर पहुंचने में काफी समय लग जाता है। साइकिलें आ जाने के बाद भी वितरण नहीं की जा रहीं हैं।
पूनम तोमर, छात्रा बाराकलां भिण्ड
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