ऐसी जुगाड़ की बस में 36 की जगह बैठे 100 सवारी
दो सीटों के बीच में घटाया स्पेस, ठीक से नहीं बैठ पाते यात्री।
किराया वसूल रहे पूरा, और सुविधा के नाम पर दे रहे परेशानियां

भिण्ड. मप्र राज्य परिवहन निगम के बंद हो जाने के बाद से निजी बस आपरेटरों द्वारा जिले में यात्री परिवहन को बेहद मुश्किल और जानलेवा बना दिया है। ग्रामीण रूटों के साथ-साथ अत्यधिक यात्री दबाव वाले नेशनलाइज्ड रूटों पर ऐसे वाहन दौड़ाए जा रहे हैं, जिनके पास न बीमा है न परमिट है और सीटिंग केपेसिटी को मनमाने तरीके से बढ़ाकर सेवढ़ा और सवाया कर लिया गया है। इसका खुलासा परिवहन विभाग की वेबसाइट पर दर्ज आंकड़ों से किया जा सकता है।
भिण्ड-ग्वालियर नेशनल हाईवे पर चलने वाली अधिकांश ३०, ३४ तथा ५२ सीटर बसों में सीटों के बीच का स्पेश कम करके ४०, ५० और ६० तक सीटें बना ली गई हैं। इनके फुल हो जाने के बाद भी यात्रियों को बस में जबरन चढ़ाया जाता है। भेड़-बकरियों की तरह भर लिया जाता है। इससे इन बसों में यात्री न तो ठीक से बैठ पाते हैं न ही खड़े होकर सफर पूरा कर पाते हैं।
ग्वालियर से भिण्ड तक प्रतिदिन एक वापसी फेरा लगाने के लिए 13 मई 2021 तक परमिटेड एक बस मात्र 34+2 सीटर है पर इसकी बॉडी का फेब्रीकेशन करवाकर इसकी सीटें ५२ कर दी गई हैं। आरटीओ की बेवसाइट पर इस बस का बीमा 11 मार्च 2014 तक वैध होने का उल्लेख है जिससे साफ है कि यह बस बिना बीमा के ही चल रही है। परमिट के अनुसार इस बस के ग्वालियर से रवाना होने का समय सुबह 4.10 बजे तथा भिण्ड पहुंचने का वक्त सुबह 6.10 बजे है। भिण्ड से ग्वालियर को इसका वापसी फेरा सुबह 9.40 बजे से होता है तथा ग्वालियर सुबह 11.40 बजे पहुंचती है। गुरुवार को स्थानीय बस स्टैंड पर यह बस दोपहर 12.40 बजे ग्वालियर के लिए रवाना हो रही थी।
भिण्ड ग्वालियर रूट पर 24 बसों को परमिट : यहां बताना मुनासिब होगा कि ग्वालियर से भिण्ड के लिए कुल २४ यात्री बसों को परमिट जारी किए गए हैं, जिनमें से 21 के परमिट परमानेंट हैं और 3 के टेम्परेरी। कुछ को केवल एकल वापसी फेरे का परमिट दिया गया है पर वे दो या इससे भी अधिक वापसी फेरे कर रही हैं या बिना परमिट के ही चल रही हैं। इस ओव्हरलोड एवं अवैध यात्री परिवहन से शासन को रोज लाखों रुपए के राजस्व का तो चूना लग ही रहा है साथ ही आमजन भी परेशान होरहे हैं।
और इन यात्री बसों का यह हाल
एमपी30 पी 1505
विभागीय वेबसाइट पर इसकी सीटिंग केपेसिटी 50+2 थी, पर अंदर इससे ज्यादा सीटें थीं। इसे ग्वालियर से राजीपुर के लिए टेम्परेरी परमिट दिया गया है, जो 13 फरवरी 2018 तक वैध है। इसका बीमा 25 दिसंबर 2018 को एक्सपायर हो चुका है। गुरुवार को दोपहर यह बस ग्वालियर जाने के लिए खड़ी थी।
एमपी30 पी 0270
परिवहन विभाग की वेबसाइट पर इसकी सीटिंग केपेसिटी 51+1 दर्ज है पर यह किस रूट पर चलती है, उसके परमिट का कोई ब्यौरा नहीं है। इसका बीमा भी 19 अक्टूबर 2017 को एक्सपायर हो चुका है। दोपहर को बस स्टेण्ड पर यह ग्वालियर जाने के लिए खड़ी थी।
एमपी30 पी 0681
वेबसाइट के अनुसार बस 2014 मॉडल की है तथा 34+2 सीटर है। अंदर 42 सीटें थीं। ग्वालियर से भिण्ड के लिए दो वापसी फेरों का 29 अक्टूबर 2020 तक का परमिट है। बीमा 8 अप्रैल 2015 को एक्सपायर होचुका है।
भिण्ड में यात्री बसों का संचालन नियमों को ताक पर रखकर हो रहा है। बस आपरेटरों ने सीटों में अवैध रूप से इजाफा कर लिया है और ओव्हरलोडिंग भी कर रहे हैं। किराया देकर भी लोग मुश्किल में सफर क्यों करें?
डॉ वीडी दुबे, उपभोक्ता अधिकार एक्टिविस्ट
परमिट, बीमा व फिटनेस आदि की पूर्ति न करने वाली निजी बसों का संचालन सख्ती से बंद होना चाहिए। आवश्यक हो तो उन्हें कानूनन राजसात भी किया जा सकता है।
बृजबिहारी चंदेल, एडवोकेट भिण्ड
निजी यात्री बसों के विरुद्ध अभियान चलाने की रणनीति बना रहे हैं। अवैध व ओवरलोड यात्री परिवहन को सख्ती से रोका जाएगा।
अर्चना परिहार, आरटीओ भिण्ड
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