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नौ माह से नहीं मिला शिक्षकों को वेतन, कर्जा लेकर चला रहे घर

locationभिंडPublished: Oct 09, 2019 11:01:32 pm

Submitted by:

Rajeev Goswami

आर्थिक संकट से जूझ रहे अतिथि विद्वान, जिले के 11 सरकारी कॉलेज में पदस्थ है 111 अतिथि विद्वान

नौ माह से नहीं मिला शिक्षकों को वेतन, कर्जा लेकर चला रहे घर

नौ माह से नहीं मिला शिक्षकों को वेतन, कर्जा लेकर चला रहे घर

भिण्ड. सरकारी महाविद्यालयों में रिक्त पड़े सहायक प्राध्यापकों के स्थान पर नियुक्त किए गए अतिथि विद्वानों को पिछले 9 माह से वेतन नहीं मिला है। वेतन पर निर्भर दीगर जिलों से जिले के महाविद्यालयो में नौकरी करने आए कई प्राध्यापकों के सामने आर्थिक संकट गहराने लगा है। शासन की उदासीनता को देखते हुए दीपावली के त्योहार पर भी वेतन मिलने की उम्मीद दिखाई नहीं दे रही।
जिले के महाविद्यालयों में अतिथि शिक्षको की नियुक्ति शिक्षण सत्र 2018-19 में की गई थी। दिसंबर, जनवरी, फरवरी, मार्च का वेतन नहीं दिया गया। इस सत्र में अपै्रल का वेतन तो दे दिया गया। लेकिन मई का वेतन 50 फीसदी अतिथि विद्वानों को ही मिल पाया है। सत्र 2019-20 में जून से लेकर सितंबर तक वेतन अभी तक नहीं मिल पाया है। वेतन भुगतान अतिथि विद्वान लगातार संस्था प्राचार्य तथा लीड कालेज के प्राचार्यो के संपर्क में है। लीड प्राचार्य की ओर से कई बार आयुक्त उ”ा शिक्षा, पीएस उ”ा शिक्षा को भी लिखा जा चुका है। सीनियर अधिकारियों का कहना है कि विभाग के पास बजट उपलब्ध न होने के कारण भुगतान में परेशानी आ रही है। जिले के 11 शासकीय महाविद्यालयों में सहायक प्राध्यापको के स्थान पर 111 अतिथि विद्वानों को नियुक्त किया है। इन से न केवल शिक्षण कार्य बल्कि प्रशासनिक कार्य भी लिया जा रहा है। कई माह से वेतन न मिलने के कारण अतिथि विद्वानों को भारी परेशान का सामना करना पड़ रहा है। रसायन, गणित, भौतिक, अंगे्रेजी संकाय में पदस्थ अतिथि विद्वान तो किसी प्रकार छात्रों को ट््यूशन पढ़ाकर अपना गुजारा कर रहे हैं। सबसे ’यादा परेशानी आर्ट और वाणि’य संकाय मेंं पदस्थ अतिथि विद्वानों के सामने है। उनके पास कोई ट्यूशन पढऩे के लिए कोई नहीं आ रहा है ऐसे में उन्हें कर्ज लेकर घर का खर्च चलाने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है।
योग्यता पीएचडी, नेट उत्तीर्ण, वेतन सहायक शिक्षक से भी कम

सहायक प्राध्यापकों के रिक्त स्थानों पर नियुक्त अतिथि विद्वानों की योग्यता पीएचडी, नेट उत्तीर्ण हैं। लेकिन उनका वेतन प्राइमरी स्कूल में पदस्थ सहायक शिक्षकों से भी कम हैं। स्कूल शिक्षा विभाग में संविलियन हो चुके सहायक शिक्षकों का न्यूनतम वेतन 30 से 40 हजार तक है, जबकि अतिथि विद्वानों का वेतन 30 से 35 हजार के बीच है। इनको 1500 रुपए प्रतिदिन की दर पर नियुक्त किया है। अतिथि विद्वानों को माह में सिर्फ 20 दिन ही काम मिल पाता है। एक ओर सरकार नियमित सहायक प्राध्यापकों को 1.50 लाख से 1.75 लाख तक का भुगतान कर रही है जबकि उन्हीं का कार्य करने वाले अतिथि विद्वानों के लिए सरकार हाथ सिकोड़ रहीं है।
-9 माह से वेतन न मिल पाने के कारण कई अतिथि विद्वान संकट से दौर से गुजर रहे हैं। समस्या को समझते हुए हम कई बार आयुक्त उ”ा शिक्षा और पीएस को भी लिख चुके हैं। शासन से अभी तक बजट नहीं मिल पाया है। पिछली बार एक कार्यक्रम में आए स्थानीय विधायक के सामने भी अतिथि विद्वानों ने अपने समस्या रखी थी।
डॉ. अनूप श्रीवास्तव प्राचार्यलीड शासकीय एमजेएस महाविद्यालय भिण्ड

बता चुके हैं समस्या

-अधिकांश अतिथि विद्वान आर्थिक संकट से गुजर हैं। ब”ाों की फीस भरने के लिए भी पैसे नहीं है। जो स्थानीय निवासी है वे तो कैसे भी अपना काम चला रहे हैं लेकिन जिन्होंने दीगर जिलों से आकर नौकरी ’वाइन की है वे ’यादा परेशान है। हम लोग कई बार प्राचार्यके सामने अपनी समस्या रख चुके हैं।
डा- हेमंत कुमार दुबे अतिथि विद्वान शासकीय एमजेएस कालेज भिण्ड

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