इसके बाद भी प्रत्येक व्यकित को औसतन 600 से लेकर 700 रुपए तक के बिल भेजे जा रहे हैं। यहां बता दें कि अधिकांश ग्रामीणों को सीएम विद्युत बिल माफी योजना तथा संबल योजना की जानकारी तक नहीं है। पात्रता होने के बाद भी एक भी ग्रामीण का मजदूरी कार्ड न बनने से बिल माफी योजना का लाभ नहीं मिल पाया है। पूरे गंाव पर करीब 8 लाख से अधिक बकाया है।
करोड़ों खर्च फिर भी अंधेरे में सैकड़ों गंाव फीडर सेपरेशन योजना- यह योजना वर्ष 2011 में शुरू हुई थी। 11 केवी के 60 फीडरों का काम ज्योति कंपनी लि. को दिया गया था। समय पर काम न करने के कारण कंपनी को 2015 में टर्मिनेट कर दिया गया।अधूरे कार्र्याे को पूरा कराने के लिए न्यू फीडर सेपरेशन योजना शुरू की गई थी। इसका काम 2016 में एमडीपी कंपनी ग्वालियर को दिया गया। कार्य फरवरी 2018 तक पूरा होना था, लेकिन अभी सैकड़ों गंाव मेंं अब तक बिजली नहीं पहुंची हैं।इस योजना पर अभी तक 82.83 करोड़ रुपए खर्च हो चुके हंै।
टू फेज से चल रहे हैं नलकूप गंाव के आसपास एक दर्जन से अधिक कृषि नलकूप हैं। इसके लिए थ्री फेज लाइन होना चाहिए। लेकिन सभी नलकूप टू फेज ही चल रहे हैं। मेंटेनेंश के लिए एक फेज की लाइन कंपनी के कर्मचारियों ने ही गायब कर दी। कुछ ग्रामीणों द्वारा नलकूपों से लाइन डालकर घरेलू क ार्याे के लिए विद्युत का उपयोग किया जा रहा है।
-गंाव में एक भी कनेक्शन नहीं है। लाइन, ट्रांसफार्मर तक नहीं है। फिर भी बिलिंग हो रही है। अधिकारियों से भी मिल चुके हंै। सुधार नहीं किया गया। जितेंद्र सिंह जाटव निवासी सदारीपुरा
-अधिकांश ग्रामीण मजदूरी कर अपने परिवार का पालन पोषण कर हैं। किसी को योजनाओं की जानकारी नहीं है। पंचायत पंजीयन कार्ड नहीं बना रही। शिवसिंह जाटव निवासी सदारीपुरा -लोग विद्युत का उपयोग तो कर रहेंं हैं लेकिन कनेक्शन नहीं ले रहे। कनेक्शन के लिए आवेदन किए जाएं तो ट्रांसफार्मर रखा दिया जाएगा। संबल योजना चल रही है। कोई गरीब बकायादार नहीं रहेगा। सिर्फ मजदूर पंजीयन, आईडी के साथ आवेदन करना है।
आरके गुप्ता महाप्रबंधक मप्र मध्यक्षेत्र विद्युत वितरण कंपनी भिण्ड