scriptThe cost of the district jail reached 30 crores | 14 साल से बन रही जिला जेल की लागत 30 करोड़ तक पहुंची | Patrika News

14 साल से बन रही जिला जेल की लागत 30 करोड़ तक पहुंची

locationभिंडPublished: Jan 17, 2023 09:39:00 pm

Submitted by:

Ravindra Kushwah

चार करोड़ रुपए की लागत से वर्ष 2008 में शुरू हुआ निर्माणाधीन नवीन जेल भवन का कार्य पांच गुना से अधिक राशि खर्च करने और चार साल अधिक समय बीतने के बाद भी पूरा नहीं हो पाया है। 80 प्रतिशत काम पूरा होने के बाद एक बार फिर बजट का संकट आड़े आ गया है और इसके लिए सात से आठ करोड़ रुपए और चाहिए। यह बजट मंजूर होकर राशि आवंटित होने के बाद भी निर्माण कार्य पूरा होने में एक साल से अधिक का समय लग सकता है।

रतनूपुरा पर निर्माणाधीन जेल भवन-भिण्ड
रतनूपुरा पर निर्माणाधीन नवीन जेल भवन।
भिण्ड. अधिकारियों का दावा है कि इस मुद्दे पर भोपाल में विभागीय बैठक कुछ दिन पहले हो चुकी है, इसलिए इस माह के अंत तक अतिरिक्त बजट आवंटित हो सकता है। बजट मिलने के बाद कम से कम एक साल का समय निर्माण कार्य पूरा करने में लगेगा। शहर से बाहर रतनूपुरा मौजे में बन रही जेल का काम धीमा होने से पुराने और जर्जर जेल भवन में कैदियों पर हमेशा खतरे का साया बना रहता था। वर्ष 2021 में बारिश के दौरान पुराना भवन गिर जाने के बाद कैदियों को रखने का संकट खड़ा हो गया है।
कैदियों को भेजना पड़ता है सेंट्रल जेल
पुराना जेल भवन ढहने और नए का निर्माण कार्य अधर में लटका होने से जिला मुख्यालय पर कैदियों को रखने का संकट खड़ा हो गया है। करीब ढाई सौ कैदी पुराने जेल भवन में रखे जाते थे। इनमें 150 के करीब सजायाफ्ता होते थे और 100 के आसपास विचाराधीन। अब विचाराधीन कैदियों को मेहगांव, गोहद में रखा जाता है और सजायाफ्ता या गंभीर अपराधोंंं के कैदियों को केंद्रीय कारागार ग्वालियर में रखा जाता है। वर्तमान में भिण्ड जिले की जेल में रखे जा सकने वाले 150 कैदी केंद्रीय कारागार ग्वालियर में हैं।
प्रारंभ से ही जेल भवन के निर्माण में पेंच
नवीन जेल भवन के निर्माण की कवायद वर्ष 2004 में शुरू हुई थी। वर्ष 2008 में चार करोड़ पांच लाख रुपए की लागत से टेंडर भी मंजूर हो गया था। टैंडर की दर 45 प्रतिशत अधिक थी। निर्माण कार्य भी शुरू हुआ। तीन करोड़ रुपए से अधिक काम होने के बाद इसमें और धन की आवश्कता हुई तो टैंडर रिवाइज नहीं हुआ और पुराना ठेका निरस्त कर नए सिरे से कार्य प्रारंभ कराया गया। यह कार्य भी वर्ष 2010 से चल रहा है, लेकिन अब तक पूरा नहीं हो पाया है। यह कार्य वर्ष 2018 तक ही पूरा किया जाना था। लेकिन एक बार फिर बजट का संकट खड़ा हो गया।
कोरोना काल की आड़ ली अधिकारियों ने
कोरोना संक्रमण काल अधिकारियों के लिए ढाल बन गया। कोरोना की गाइड लाइन से राहत मिलने के बाद नए सिरे से अधूरे कार्य को पूरा करने की कवायद की जा रही है। करीब एक सप्ताह पहले भोपाल में उच्च स्तरीय बैठक में कार्य के लिए बजट मंजूर करने पर सहमति बन गई है। सात से आठ करोड़ रुपए का बजट और खर्च होने का अनुमान है। लेकिन बजट कब तक आवंटित हो पाएगा, इस पर अधिकारी ठोस नहीं बता पा रहे हैं।
सुरक्षा दीवार का भी प्रावधान नहीं
निर्माणाधीन जेल भवन के आसपास सुरक्षा के लिए चारदीवारी का प्रावधान अब तक नहीं दिखा है। जबकि बाहरी क्षेत्र में जेल होने से इस पर गंभीरता से विचार होना चाहिए था। अधिकारी इस मामले को भी वरिष्ठ कार्यालय के संज्ञान में लाएंगे।
फैक्ट फाइल
62500 वर्ग मीटर में निर्मित हो रहा है नया भवन।
3360वर्गमीटर के करीब था पुराने जेल भवन का क्षेत्र।
4.05 करोड़ रुपए थी नवीन भवन की प्रारंभिक लागत।
22 करोड़ रुपए खर्च हो चुका है निर्माण पर अब तक।
7-8 करोड़ रुपए का बजट और लगेगा काम पूरा होने में।
80 प्रतिशत तक काम पूरा होने का दावा कर रहे अधिकारी।
कथन-
निर्माणाधीन नवीन जेल भवन का अधूरा कार्य पूर्ण कराने के लिए और बजट मांगा गया है। भोपाल में इस पर सहमति बनने की खबर है। बजट मिलने पर शेष कार्य पूरा कराया जाएगा। भिण्ड जिले के 150 कैदी केंद्रीय कारगार में रखे गए हैं। बाकी गोहद व मेहगांव में हैं, जल्द अधूरा काम पूरा कराने का प्रयास है।
विदित सरवैया, अधीक्षक, केंद्रीय कारागार, ग्वालियर।
-निर्माणधीन जेल भवन का काम पूरा करने सात से आठ करोड़ रुपए और खर्च होंगे। इस पर भोपाल में उच्च स्तरीय बैठक हो चुकी है। बजट आवंटित होने के बाद भी अधूरा 20 प्रतिशत काम पूरा कराने में करीब एक साल का समय और लग जाएगा।
पंकज परिहार, ईई, पीआईयू, भिण्ड।
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