महावीरनगर भिण्ड निवासी सुदामा उर्फ रघुवीर खटीक की बुजुर्ग मां का देहांत करीब एक माह पूर्व हो गया था। १३वें दिन सामाजिक परंपरा का निर्वहन करते हुए उसने मृत्युभोज किया। सुदामा ने भारौलीपुरा भिण्ड निवासी लडक़ी को भगा ले जाने के उस आरोपी को बुला लिया था जिसे समाज ने पूर्व से बहिष्कृत किया हुआ है। इसी नाराजगी पर समाज का अन्य कोई भी व्यक्ति मृत्युभोज में शामिल नहीं हुआ। ऐसे में दो क्विंटल आटा की पूड़ी, एक क्विंटल चीनी की बंूदी और एक क्विंटल आलू की सब्जी फेंकनी पड़ी।
कर्ज लेकर किया था पहला आयोजन, दूसरे में और बढ़ गया सु दामा की मानें तो मां की मौत पर पहले मृत्युभोज में ही वह करीब 30 हजार रुपए के कर्ज में डूब गया था। उस आयोजन में समाज के नहीं आने पर उसे मजबूरन पुन: कर्ज लेकर दोबारा मृत्युभोज करना पड़ा। सुदामा ने बताया कि उसके लिए तो इधर कुआं उधर खाई सी नौबत हो गई थी। यदि मृत्युभोज फिर से नहीं करते तो समाज से निकाल दिए जाते और करने पर कानूनी कार्रवाई हो गई।
सामाजिक फैसले पर बतौर दंड दोबारा किया मृत्युभोज सुदामा उर्फ रघुवीर खटीक को जब सामाजिक रूप से बहिष्कृत होने का डर सताया तो वह अपने समुदाय के मुअज्जिज लोगों से मिला। ऐसे में मुखियाओं ने उसे दंड स्वरूप दोबारा मृत्युभोज करने का फरमान सुना डाला। 19 अप्रैल को मृत्युभोज का पुन: आयोजन किया गया। खाने के लिए बड़ी संख्या में भीड़ होने की खबर पर पुलिस ने देर रात 11 बजे पहुंचकर आयोजक के खिलाफ कार्रवाई कर दी।
किसी भी परिवार को मृत्युभोज के लिए सामाजिक रूप से दबाव बनाया जाना गलत है। ये विडंबना ही है कि आज भी लोग रुढ़ीवादी सोच से ग्रसित हैं। आयोजक के खिलाफ कोरोना संक्रमण में भीड़ भरा कार्यक्रम करने के आरोप में केस दर्ज किया गया है।
उदय सिंह सिकरवार, एसडीएम भिण्ड
उदय सिंह सिकरवार, एसडीएम भिण्ड