बीओटी स्कीम के तहत 42 किमी लंबे ऊमरी प्रतापपुरा मार्ग का निर्माण पटना की एक कंपनी तथा दिल्ली की एक कंपनी ने 2013 में शुरू किया था। सडक़ का निर्माण 2015 में पूर्ण होकर कंपनी को दो स्थानों पर टोल लगाकर वसूली करनी थी। एक कंपनी ने ऊमरी से फूप तक 20 किमी सडक़ का निर्माण लगभग पूरा कर लिया था। वही पटना की कंपनी ने फूप के प्रतापपुरा तक 22 किमी सडक़ निर्माण भी करीब 90 फीसदी तक पूरा कर लिया था। 2014 में क्वारी का पुल टूट जाने से कंपनियों ने निर्माण में रुचि लेना ही बंद कर दिया। इसी बीच एक कंपनी ने फूप कस्बे से चार किमी दूर भीमपुरा के पास टोल बैरियर का निर्माण भी कर लिया था लेकिन कंपनी को एमपीआरडीसी ने कार्य पूर्ण होने से पूर्व टोल वसूली करने की अनुमति देने से इंकार कर दिया। अनुबंध के अनुसार कंपनियों को 2015 से 2030 तक 15 साल तक वसूली करने की अनुमति थी। काम समय पर पूरा न होने से वसूली में चार साल का समय कम हो गया। इससे कंपनियों को सडक़ निर्माण में पैसा लगाना घाटे का सौदा नजर आने लगा। दोनों कंपनियों ने काम छोडऩे की लिखित में जानकारी एमपीआरडीसी को दे दी है।
शिकायतों के कारण कंपनियों पर था प्रेसर, पुरानी पुलियों पर ही डाल दी थी सडक़ शासन से हुए अनुबंध के अनुसार ऊमरी से प्रतापपुरा तक पुरानी 25 पुलियों को तोडक़र नई पुलियों का निर्माण करना था लेकिन कंपनियों ने पुरानी पुलियों के स्ट्रक्चर पर ही एक्सटेंशन देकर सडक़ डाल दी थी। वाहनों का आवागमन होने से पुलिया जर्जर हो गई थी। स्थानीय लोगों की ओर से इस संबंध में शिकायत भी की गई थी। एमपीआरडीसी ने भी नई पुलियों का निर्माण कराने का प्रेसर बनाना शुरू कर दिया था। इसके अलावा फूप कस्बे में भी करीब 500 मीटर सडक़ अधूरी पड़ी है।
—घाटे का सौदा लगने से कंपनियों ने काम बंद कर दिया है। शासन को इसमें कोई नुकसान नहीं है। पैसा तो कंपनियों का ही फसा हुआ है। जब तक काम पूरा नहीं होता तब तक टोल वसूली करने की अनुमति नहीं दी जाएगी। शासन की मदद से काम पूरा किया जाएगा।
राजेश दाहिमा एजीएम एमपीआरडीसी ग्वालियर