प्रत्येक वर्ष मेले का आयोजन फरवरी में ही शुरू होकर होली के कुछ दिन बाद तक समाप्त हो जाता था, लेकिन कुछ वर्षों से मेले के निर्धारित समय में देरी बढ़ती जा रही है। इस बार नगर पालिका प्रशासन की ढिलाई के चलते मेले का आयोजन काफी विलंब से होता दिख रहा है। फरवरी समाप्त होने को है, लेकिन मेला आयोजन की तैयारियों के लिए कुछ खास देखने को नहीं मिल रहा है। वहीं मेले में दुकानें लगाने वाले दुकानदारों में भी उत्साह नहीं है। नपा प्रशासन ने अभी तक बिजली, पानी व साफ-सफाई तक की कोई व्यवस्था नहीं की है। मेला परिसर में आवारा पशुओं का जमावड़ा ा रहता है। पानी की व्यवस्था न होने से दुकानदार भी परेशान हो रहे हैं।रात के समय मेला प्रांगण में अंधेरा पसरा रहता है, जिससे मेला परिसर में असामाजिक तत्वों का जमावड़ा रहती है। ऐसे में सुरक्षा को लेकर चिंता रहती है।
व्यापार पर असर : कृषि प्रधान क्षेत्र होने से मेले में खरीदारी करने आने वालों में सबसे बड़ा वर्ग किसानों का ही होता है। होली के बाद किसान फसलों की कटाई में व्यस्त रहेंगे। इसका व्यापार पर असर दिखेगा।
आयोजन में देरी से रौनक हो रही फीकी : कुछ वर्ष पहले आकर्षक सामानों के साथ बाहर से भी दुकानदार आते थे, लेकिन आयोजन में अनिश्चितता के चलते वे भी नहीं आ पा रहे हैं। बाहर से आने वाले दुकानदार दिसंबर में इटावा फिर जनवरी में ग्वालियर और फरवरी में भिण्ड मेले में आते थे, लेकिन अब आना बंद कर दिया।
-मेला लगने में पहले ही देरी हो चुकी है। इसके बाद भी अभी तक न तो पानी की व्यवस्था की गई है और न साफ-सफाई करवाई जा रही है। भुवनेश प्रजापति, दुकानदार -दुकान में सामान तो रख लिया है, लेकिन लाइट की व्यवस्था अभी तक नहीं की गई। इससे रात के समय दुकान में रखे सामान को लेकर डर बना रहता है।
मो. आलम, दुकानदार -किन्हीं कारणों से आयोजन में देरी हुई है। अगले वर्ष से मेला निर्धारित समय पर किया जाएगा। सुरेंद्र शर्मा, सीएमओ नगर पालिका भिण्ड