भवन एवं अन्य संनिर्माण कर्मकार कल्याण शेष एक्ट १९९६ को ०३ नवंबर १९९६ से लागू किया गया है। इसके तहत संबंधित ठेकेदार या नियोक्ता द्वारा निर्माण की कुल लागत का अधिकत दो फीसदी एवं न्यूनतम एक फीसदी रकम श्रम कार्यालय में जमा कराया जाना आवश्यक है। शासन के इस नियम की अनदेखी करते हुए ठेकेदार न केवल मजदूरों के कल्याण हेतु जमा कराए जाने वाली उपकर राशि में गोलमाल कर रहे हैं बल्कि उनकी निर्धारित मजदूरी भी पूरी अदा नहीं कर रहे हैं। जिले में लोक निर्माण विभाग एवं पीआइयू, मध्य प्रदेश सडक़ विकास निगम के अरबों रुपए के सडक़, पुलियों एवं भवन निर्माण के कार्य कराए जा रहे हैं जिनमें काम कर रहे मजदूरों को उनका हक मिल रहा है या नहीं ये जानने के लिए श्रम कार्यालय से भी अमला निरीक्षण के लिए नहीं पहुंच रहा है।
हादसा होने पर भी नहीं मिल पाती आर्थिक सहायता : काम करने के दौरान हादसे में घायल होने या मौत हो जाने पर मजदूर के परिवार को आर्थिक सहायता तक उपलब्ध नहीं हो पा रही है। पत्रिका ने सोमवार को मजदूर परिवारों से बात की तो उनका दर्द सामने आ गया। लक्ष्मी आदिवासी ने बताया कि जितनी मजदूरी मिलती है उसमें सिर्फ बच्चों का भरण पोषण ही हो पा रहा है। उनके लिए अच्छे कपड़े तथा बेहतर शिक्षा उपलब्ध नहीं करवा पा रहे हैं।
बिहार, छत्तीसगढ़ सहित यूपी व श्योपुर जिले के मजदूर कर रहे मजदूरी: भिण्ड जिले में बिहार एवं छत्तीसगढ़ राज्य के अलावा मध्य प्रदेश के टीकमगढ़, छतरपुर एवं श्योपुर जिले के मजदूर परिवार निर्माण कार्यों के लिए लाए जा रहे हैं। बाहरी होने के कारण वे मजदूरी कम मिलने की शिकायत भी नहीं करते। वहीं निरक्षर होने के चलते उन्हें शासन स्तर पर उनके लिए संचालित योजनाओं की भी जानकारी नहीं होने से ठेकेदार निर्धारित ५०० रुपए मजदूरी देने के बजाए २५० से ३०० रुपए प्रति दिन में ही काम ले रहे हैं।
उपकर की राशि से दिए जाते हैं ये लाभ असंगठित क्षेत्र के मजदूरों के कल्याण के लिए उपकर के रूप में जमा कराए जाने वाली धनराशि से प्रसूति सहायता, विवाह सहायता, शिक्षा के लिए प्रोत्साहन राशि, मेधावी छात्रों को नकद पुरस्कार व चिकित्सा सहायता प्रदान की जाती है लेकिन अशिक्षित मजदूरों को अपने अधिकारों की जानकारी नहीं होने से ठेकेदार तबका उनका शोषण कर रहा है।
-काम करने के दौरान घायल हो जाने या मौत हो जाने पर भी उनके परिवार को कुछ नहीं मिलता। ३०० रुपए रोज पर मजदूरी कर रहे हैं। रामशरन आदिवासी, मजदूर छतरपुर -हमारे लिए क्या योजनाएं संचालित हैं हमें नहीं पता। मजदूरी भी पूरी नहीं मिलती। मजबूरन जो मिलता है परिवार पालने के लिए लेना पड़ रहा है। वरना करें तो क्या करें।
रामदुलारे गौड़, मजदूर टीकमगढ़ -वैसे तो ठेकेदारों को भुगतान के दौरान ही पीडब्ल्यूडी तथा अन्य विभागों द्वारा उपकर की राशि काट ली जाती है। यदि ठेकेदार मजदूरों की संख्या कम लिखाकर गोलमाल करते हैं तो जांच कर कार्यवाही करेंगे।
मुरारी नरवरिया, निरीक्षक संनिर्माण कर्मकार मंडल कार्यालय