ग्रामीणों की नाराजगी का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि, यहां गांव के बाहर पोस्टर और बैनर लगाकर उनकी ओर से चुनाव का बहिष्कार करने की बात कही है। साथ ही, ये भी कहा है कि, कोई भी प्रत्याशी गांव में वोट मांगने के लिए प्रवेश न करे। ग्रामीणों का खुले शबंदों में कहना है कि, अगर यहां के लोगों से वोट चाहिए तो पहले गांव में सड़क और स्कूल की व्यवस्ता करनी होगी, तभी यहां के लोग मतदान के लिए सेहमति देंगे।
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अबतक मूल अधिकारों से वंचित हैं ग्रामीण
इस संबंध में महुरी गांव के ग्रामीणों का कहना है कि, वैसे तो देश की आजादी को 75 साल बीत चुके हैं। लेकिन, अब भी हमारा गांव शिक्षा और सड़क जैसी मूल चीजों से वंचित है। गांव में ना तो कहीं सड़क है और न ही कोई स्कूल है। यही कारण है कि, गांव की युवा पीड़ी अबतक किसी देशहित की चीजों से जुड़ नहीं सका है। इन असुविधाओं के संबंध में कई बार जनप्रतिनिधियों और अफसरों से लिखित और मौखिक शिकायतें कर चुके हैं। चुनाव से पहले यहां आकर प्रत्याशी हर बार वादे और दावे कर जाते हैं। लेकिन, वोट मिलने के बाद उनसे संपर्क कर पाना ही संभव नहीं हो पाता। इसलिए, इस बार ग्रामीणों ने फैसला लिया है कि, ऐसी किसी भी सरकार या जन पर्तिनिदि को गांव की ओर से नहीं चुना जाएगा, जिसे सत्ता मिलने के बाद गांव के लोगों की ही परवाह न रहे।
न मार्ग है न शिक्षा, हर जगह लगा है गंदगी का अंबार
ग्रामीणों का आरोप है कि, अंदर के इलाकों में सड़क होना तो दूर की बात गांव का मुख्य मार्ग कच्चा पड़ा है, जिसका ग्राणीण ही अपने स्तर पर सुदार कार्य करने की कोशिश करते हैं। बावजूद इसके कोई पुख्ता व्यवस्था न होने के कारण मौजूदा समय में मार्ग पर गंदगी और कीचड़ का अंबार लगा है। गांव में मिडिल स्कूल नहीं होने से हमारे बच्चों को चार किमी पैदल चलकर शेरपुर गांव पढ़ने जाना पड़ता है। वहीं, मुक्तिधाम के लिए भी यहां कोई रास्ता नहीं है। गांव में शिक्षा के नाम पर सिर्फ एक प्राथमिक स्कूल है, लेकिन उसमें भी सुरक्षा के कोई मापदंड नहीं है। इसके चारों और बाउंड्री वॉल तक नहीं है। हर बार चुनाव से पहले उन्हें आश्वासन दिया जाता है, लेकिन आजादी से लेकर अबतक हमारी मांगे जस की तस हैं।
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क्या कहते हैं जिम्मेदार?
मामले को लेकर गोहद एसडीएम शुभम शर्मा का कहना है कि, महुरी गांव के ग्रामीणों की समस्याएं सामने आई हैं। ग्रामीणों को समझाने के लिए जनपद पंचायत सीईओ को भेजा जाएगा। साथ ही, ग्रामीणों को मांगे अब तक पूरी क्यों नहीं हो सकी हैं, इस बात का भी पता किया जाएगा।
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