चंबल के तटवर्ती एक दर्जन गांव पानी से चारों से टापू बन गए थे। पानी उतरने के बाद मुकुटपुरा व नावली वृंदावन गांव के रास्ते खुल गए हैं। वहीं देर रात शेष 10 गांवों में से करीब आधा दर्जन गांव के मुख्य रास्ते खुलने की संभावना है। बीते तीन दिन में पानी का जो विकराल रूप ग्रामीणों ने देखा उसका भय अभी तक उनकी आंखों में दिखाई दे रहा है। इन दिनों न केवल उपरोक्त गांवों की बिजली सेवा को बाधित करना पड़ा था बल्कि स्कूल भी बंद थे। वहीं बिजली नहीं पहुंच पाने से दूर संचार संपर्क भी टूट गया था। सोमवार को दो गांव के ग्रामीणों का आवागमन शुरू हो गया है। साथ ही विद्युत वितरण कंपनी के कर्मचारियों द्वारा ठप पड़ी बिजली सेवा को बहाल किए जाने की प्रक्रिया भी शुरू कर दी गई है।
सड़ांध से फैल रही बीमारियां बाढ़ का पानी उतरने के बाद जलीय जीवों के अलावा अन्य जानवरों के मरने से क्षेत्र में सड़ांध उठने लगी है। ऐसे में गांवों के लोग डायरिया, ’वर, चर्म रोग जैसी बीमारियों से ग्रसित होने लगे हैं। चिंतनीय विषय ये है कि प्रभावित गांवों से स्वास्थ्य टीमें एक दिन की सेवा के बाद ही लौट आई हैं। जबकि ग्रामीणों को स्थानीय स्तर पर इलाज की बेहद आवश्यकता है। उधर तहसील कार्यालय के मीटिंग हॉल में बनाए गए बचाव कार्य के लिए नियंत्रण कक्ष पर भी सोमवार की सुबह से ही ताला लटक गया।
-पानी लगातार कम हो रहा है। अभी तक दो गांव के रास्ते पूरी तरह से खुल गए हैं। देर रात तक अन्य गांव के रस्ते भी खुलने के आसार हैं। बीमारियां फैलने की सूचना पर गांवों में स्वास्थ्य अमले को भिजवाया जाएगा।
अभिषेक चौरसिया, एसडीएम अटेर