नहीं किया लक्ष्य घोषित किसान कल्याण तथा कृषि विकास विभाग द्वारा अभी रवी सीजन की फसलों का लक्ष्य घोषित नहीं किया गया है पर इसकी कार्ययोजना को अंतिम रूप देने की तैयारी की जा रही है। जिसमेें गेहंू की बोनी 1,20,000 हेक्टेयर से घटाकर 90,000 हेक्टेयर में किए जाने पर मंथन चल रहा है। इस प्रकार की स्थिति जिले की औसत वर्षा के 668 मिलीमीटर के आंकड़े के विरुद्ध 425 मिलीमीटर के आसपास अटक जाने से बनी है। हालांकि अब तक न केवल किसान बल्कि कृषि अधिकारी सप्ताह भर में बारिश की उम्मीद किए हैं लेकिन इसके आसार कम ही नजर आ रहे हैं।
जितना लक्ष्य उसकी उम्मीद कम कम बारिश होने से वर्तमान के खरीफ सीजन की फसलों से भी अपेक्षित उत्पादन की उम्मीद नहीं रही है। कम बारिश के हालात रहने से आगामी रबी सीजन में तकरीबन सवा तीन लाख हेक्टेयर में बोनी का लक्ष्य तय किया जा रहा है लेकिन इतने क्षेत्रफल में बोनी होने की उम्मीद कम ही है। तकनीक सहायक पंकज सविता ने बताया कृषि विभाग के तकनीक और मैदानी अमले द्वारा किसानों को उचित सलाह देने की तैयारी की जा रही है।
गेहं की भी हैं कम पानी वाली किस्में गेहंू की फसल को तीन-चार बार सिंचाई की जरूरत होती है लेकिन इसकी भी कुछ किस्में ऐसी हैं जिनमें कम सिंचाई के बाद भी अच्छा उत्पादन लिया जा सकता है। इनमें लोकमन, सुजाता, एमपीडब्ल्यू 1203, आरबीडब्ल्यू 4106, एमपी 4010, नर्मदा 104, मालवशक्ति, मालवश्री शामिल हैं। जिले में लोकमन अैर एमपी 4010 काफी प्रचलित हैं।
मावठ होने मात्र से चना, मटर, मसूर, जौ की अच्छी उपज कम बारिश के कारण कृषि अधिकारियों द्वारा किसानों को रबी सीजन की फसलों में चना, मटर, मसूर, जौ की बोनी अधिक क्षेत्रफल में करने का मशबरा दिया जा रहा है। क्योंकि यह फसलें एक मावठ हो जाए तो भी अच्छा उत्पादन देती हैं। इसी प्रकार अच्छी मावठ हो जाने से सरसों की फसल से भी अपेक्षित उपज मिल जाती है।
वर्जन जिले में इस वर्ष अब तक अपेक्षा अनुरूप बारिश नहीं हुई है इससे जहां एक ओर खरीफ की फसलें प्रभावित हुई हैं वहीं दूसरी ओर रबी फसलों की बोनी परिस्थिति अनुसार करने में समझदारी है। इसके लिए कार्ययोजना को अंतिम रूप दिया जा रहा है। इसी के अनुसार किसानों से अपेक्षा की जा रही है कि वे दलहनी फसलों अधिक क्षेत्रफल में बोएं जिससे कम सिंचाई में अपेक्षित उत्पादन लिया जा सके।
एसपी शर्मा, उप संचालक, किसान कल्याण तथा कृषि विकास