मिर्जा मीना बेग पत्नी मरहूम बादल बेग अपने बच्चों पर गुरबत का साया उनकी पढ़ाई पर नहीं पडऩे देना चाहतीं। वे कहतीं हैं कि हर प्रकार से मेहनत कर अपने बच्चों को अच्छी तालीम देने का उनका सपना है। दबोह कस्बे के ही एक रहमदिल इंसान ने अपने घर में उन्हें और उनके बच्चों को रहने के लिए आसरा दे दिया है। भरण पोषण के लिए वह स्वयं सुबह से शाम तक प्राइवेट क्लिनिक व स्कूलों में जाकर झाड़ू पोछा करती हैं। इसके बदले उन्हें महीने में ढाई से तीन हजार रुपए की आय हो जाती है। मीना बेग की दो बेटी हैं एक १८ वर्षीय नाजिया तथा दूसरी १३ वर्षीय नाफिया जबकि 10 वर्ष का बेटा फरदीन है। बड़ी बेटी के हाथ पीले करने और छोटे दो बच्चों को उच्च शिक्षित बनाने को लेकर वह चिंतित हैं।
बीपीएल परिवारों के सर्वे पर उठ रहे सवाल उल्लेखनीय है कि बीपीएल सूची में नाम जोडऩे से पूर्व प्रशासनिक स्तर पर सर्वे कराया जाता है। उक्त सर्वे में वास्तविक गरीब परिवारों के नाम छूटने के साथ अपात्र लोगों के नाम कैसे जुड़ जाते हैं। इसको लेकर लोग अब सवाल उठाने लगे हैं। दरअसल सरकारी हितग्राही मूलक योजनाओं को पलीता लगाने के इस घालमेल में संबंधित अधिकारियों की मौन चुप्पी भी बड़ा कारण है। अपात्रों के नाम जोडऩे वालों पर किसी प्रकार की कार्यवाही नहीं किया जाना वास्तविक गरीब परिवारों के हकों को मारने की वजह बन रहा है। दबोह की मीना बेग महज एक उदाहरण भर हैं। कई ऐसे परिवार हैं जिन्हें सरकारी योजनाओं का लाभ नहीं मिल पा रहा है।
ये परिवार सर्वे में कैसे छूटा इसकी जानकारी ले रहे हैं। जल्द ही बीपीएल सूची में जुड़वाकर योजनाओं का लाभ दिलाने की कार्यवाही की जाएगी।
- बाबूलाल कुशवाह, सीएमओ, नप दबोह
- बाबूलाल कुशवाह, सीएमओ, नप दबोह